अब गोमूत्र से बनेगा फसलों के लिए खास कीट नियंत्रक
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बढ़ते जोखिम से कृषि को बचाने के लिए अब गोमूत्र से हानिरहित कीट नियंत्रक बनाया जाएगा। साथ ही गोबर से जैविक खाद और वर्मिंग कम्पोस्ट का बड़े स्तर पर उत्पादन करने की योजना है। यह पहल लावारिस पीड़ित पशु सेवा संघ द्वारा की गई है। बहू अकबरपुर स्थित गोशाला में तैयार हो रहे तीन प्रोडक्ट का परीक्षण गोशाला की 11 एकड़ की फसलों पर किया जा रहा है।
लावारिस पीड़ित पशु सेवा संघ की ओर से पहले जिला प्रशासन एवं शासन को यह प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन उसे किसी ने तव्वजो नहीं दी। अब संस्था द्वारा बहू अकबरपुर में संचालित निडाना रोड स्थित अपनी गोशाला में गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का कार्य शुरू कर दिया है।कीट नियंत्रक बनाने की विधि एक्सपर्ट के अनुसार, बीस किग्रा गोबर, बीस लीटर गोमूत्र, ढाई किलो के हिसाब से आक, नीम, पेठा, बेशरम के पत्तों को पीसने के बाद मिलाकर अंधेरे स्थान पर ड्रम में ढककर रखकर मिलाते रहें। 15 दिन बाद उसमें पिसा हुआ आधा किलोग्राम लहसन और लाल मिर्च डालकर उबालें। उसके बाद उसे छानकर दो सौ लीटर पानी में मिलाकर रखें। तैयार कीट नियंत्रक को एक एकड़ फसल पर छिड़काव करना है।
ऐसे तैयार होती है जैविक खाद
एक एकड़ की फसल के लिए गोमूत्र व गोबर पंद्रह-पंद्रह किग्रा, पुराना गुड़ व चोकर एक-एक किग्रा, एक किग्रा पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी को ड्रम में डालकर मिलाया जाता है। अंधेरे कमरे में रखकर घोल को मिलाते रहना अनिवार्य है ताकि उसमें फसलों के मित्र बैक्टीरिया विकसित हो सकें। 15 दिन में जैविक खाद तैयार हो जाती है, जिसे 200 लीटर पानी में मिलाकर संरक्षित किया जाता है और एक एकड़ की फसल में पानी लगाते समय अथवा छिड़काव के जरिए हर 21 दिन पर मिट्टी में पहुंचाना हाेता है।
बंजर होने से बचेगी धरती
'बहूअकबरपुर में गोशाला की जमीन पर जैविक विधि से फसलों का उत्पादन हो रहा है। कोशिश प्रदेश के किसानों को बेहतर विकल्प देना है। कीट नियंत्रक व जैविक खाद एक्सपर्ट राजीव दीक्षित के पैटर्न पर बनाई जा रही है। वर्मिंग कम्पोस्ट बनाने के लिए बाहर से केंचुए भी मंगाए गए हैं। रासायनिक खाद व कीटनाशकों के प्रयोग से धरती बंजर हो रही है। फसलों की गायब हुई प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जैविक तकनीक का इस्तेमाल आवश्यक है।'
- डॉ. जगदीश मलिक,