स्टिकी ट्रैप
किसान घातक कीटनाशकों के छिड़काव के बिना कीटों से अपनी फसल की रक्षा कर सकेंगे। रासायनिक दवाओं से कीट नियंत्रण में कई तरह की दिक्कत आती हैं, जिसमें कृषि पर्यावरण को कई तरह के नुकसान शामिल रहते हैं। जबकि स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से किसान इन सभी दिक्कतों से बच सकता है। रासायनिक कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल से कई गंभीर खतरे पैदा होतेे रहते हैं। रसायन के ज्यादा इस्तेमाल से कीटों में रसायन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता, खाद्य शृंखला में कीटनाशक अवशेष, मृदा प्रदूषण, मित्र कीटों का अनचाहा नुकसान और पर्यावरण को कई अन्य नुकसान भी होते हैं।बार बार रासायनिक कीटनाशको के प्रयोग के उपरांत भी कपास, मूंगफली, धान, दलहनी फसल, तम्बाकू, सब्जियों एवं फल वाले पौधों में विभिन्न कीटों का सफलतापूर्वक नियंत्रण नहीं हो पा रहा है| आधुनिक कृषि उत्पादन पद्धति में किसी नाशीजीव का नियंत्रण करने के लिए कम से कम रासायनिक छिड़काव करने का सुझाव दिया जाता है तथा यांत्रिक नियंत्रण के साधनों जैसे फेरोमोन ट्रैप (गंधपांस), प्रकाश प्रपंच (लाइट ट्रैप), ब्लू स्टिकी ट्रैप, येल्लो स्टिकी ट्रैप एवं बर्ड पर्चर (चिड़ियों का बैठक) आदि का समेकित प्रयोग, आदि यदि फसल में उचित समय पर किया जाय तो फसल नुकसान को 40 से 50 प्रतिशत कम किया जा सकता है| इस पद्धति से रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता से छुटकारा पाया जा सकता है एवं कीटनाशकों पर होने वाले अंधाधुन्द खर्चों से बचा जा सकता है। उपरोक्त तरीकों से जहाँ एक ओर फसलों के रासायनिक अवशेष की समस्या से बचा जा सकता है, तो साथ हिन् साथ मिटटी एवं पर्यावरण समस्या से भी बचा जा सकता है। इस तकनीक से कीट की स्थिति का आकलन किया जा सकता है एवं नर पतिंगो को पकड़ कर नष्ट कर सकते हैं |
क्या होता है स्टिकी ट्रैप
स्टिकी ट्रैप दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है। यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है। स्टिकी ट्रैप शीट पर कीट आ कर चिपक जाते हैं जिसके बाद वह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं।स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीट होती हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेत में लगाई जाती है। इससे फसलों पर आक्रमणकारी कीटों से रक्षा हो जाती है और खेत में किस प्रकार के कीटों का प्रकोप चल रहा है इसका सर्वे भी हो जाता है।
कैसे काम करता है स्टिकी टै्रप
हर कीट किसी विशेष रंग की ओर आकर्षित होता है। । अब अगर उसी रंग की शीट पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगा कर फसल की ऊंचाई से करीब एक फीट और ऊंचे पर टांग दिया जाए तो कीट रंग से आकर्षित होकर इस शीट पर चिपका जाता है।
घर पर बनाएं स्टिकी ट्रैप
यह बाजार में भी बनी बनाई आती हैं और इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है। एक स्टिकी ट्रैप बनाने में औसतन 15 रुपए का खर्च आता है। इसे टीन, प्लास्टिक और दफ्ती की शीट से बनाया जा सकता है। अमूमन यह चार रंग के बनाए जाते है, पीला, नीला, सफेद और काला। इसे बनाने के लिए डेढ़ फीट लम्बा और एक फीट चौड़ा कार्ड बोर्ड, हार्ड बोर्ड या इतने ही आकार का टीन का टुकड़ा लें। जिस पर सफेद ग्रीस की पतली सतह लगा दें। इसके अलावा एक बांस और एक डोरी की जरूरत होगी जिस पर इस स्टिकी ट्रैप को टांगा जाएगा। इसे बनाने के लिए बोर्ड को लटकाने लायक दो छेद बना ले और उस पर ग्रीस की पतली परत चढ़ा दे। एक एकड़ में लगाने के लिए करीब 6-8 स्टिकी ट्रैप लगाएं। इन ट्रैपों को पौधे से 50-75 सेमी ऊंचाई पर लगाएं। यह ऊंचाई कीटों के उडऩे के रास्ते में आएगी। टीन, हार्ड बोर्ड और प्लास्टिक की शीट साफ करके बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि दफ्ती और गत्ते से बने ट्रैप एक दो इस्तेमाल के बाद खराब हो जाते हैं। ट्रैप को साफ करने के लिए उसे गर्म पानी से साफ करें और वापस फिर से ग्रीस लाग कर खेत में टांग सकते हैं।
स्टिकी ट्रैप के रंग
पीला स्टिकी ट्रैप
सफेद मक्खी, ऐफिड और लीफ माइनर जैसे कीटों के लिए बनाया जाता है। यह ज़्यादातर सब्जियों की फसल में लगते हैं।
नीला स्टिकी ट्रैप
नीला रंग थ्रपिस कीट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कीट धान, फूलों और सब्जियों को नुकसान पहुंचाता है।
सफेद स्टिकी ट्रैप
फ्लाई बीटल कीट और बग कीट के लिए इस रंग के स्टीकी ट्रैप का इस्तेमाल किया जाता है। यह कीट मुख्यता फलों और सब्जियों में लगते हैं।
काला स्टिकी टै्रप
अमेरिकन पिन वर्म के लिए ट्रैप प्रयोग होता है और ज्यादातर टमाटर पर लगने वाले कीटों का हमला रोकने के लिए लगाया जाता है।