अंकुर फूटते ही कपास पर सफेद मक्खी का हमला, दहशत में किसान

अंकुर फूटते ही कपास पर सफेद मक्खी का हमला, दहशत में किसान

हरियाणा , मध्यप्रदेश और पंजाब आदि राज्यों में अंकुर फूटते ही कपास पर सफेद मक्खी का हमला हो रहा है, किसानों में सफेद मक्खी के हमले को लेकर इतनी दहशत पैदा हो चुकी है कि वह अपने खेतों में कपास छोड़कर अन्य फसलें बीजने लगे हैं। कई किसानों ने कपास अपने खेतों में लगा ली थी, लेकिन जैसे ही उन्हें फसल पर सफेद मक्खी का हमला होता दिखाई दिया तो उन्होंने तुरंत इसको तुरंत ट्रैक्टर से रौंद दिया। कृषि विभाग की ओर से अधिकारिक की गई दवाओं को ही अपने खेतों में बोई कपास की फसल पर छिड़काव किया था, लेकिन डेढ़ माह के अंदर उसकी फसल पर फिर से सफेद मक्खी ने हमला कर दिया। उस पर उक्त दवा का भी काई असर नहीं हुआ।
इसके चलते उसका करीब करोडों का नुकसान हो चुका है।  अफसरों का कहना है कि उन्हें जहां कहीं से भी किसान की सफेद मक्खी संबंधी शिकायत प्राप्त हो रही है वह वैसे ही अपनी टीम को तुरंत भेज देते हैं। उन्होंने माना कि सफेद मक्खी कपास की फसल को नुकसान पहुंचा रही है, लेकिन वह छोटे स्तर पर ही हमला कर रही है। इसको समय कंट्रोल करने का प्रयास किया जाएगा। 

क्‍या है ‘सफेद मक्‍खी‘ का प्रकोप ?

सफेद मक्खी सामान्यतौर पर लगने वाले कीटों में से एक है। खरीफ की सभी प्रमुख फसलों पर इसका असर हो सकता है। हालांकि कपास को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। ये मक्‍खी बरसात के मौसम में ही पनपती है। इसका जीवन चक्र 35 से 30 दिन का होता है। मक्खी एक बार में सौ से सवा सौ तक अंडे देती है। सफेद मक्खी कपास के पौधों के पत्तों पर बैठकर लार छोड़ती है जिससे पत्ते।  काले पड़ जाते हैं और उसकी बाढ़ रुक जाती है।
सफेद मच्छर (व्हाइट फ्लाय) फ्यूजेरियन वायरस से बीमारी फैल रही है। इसमें फ्लाई पौधों के पत्ते पर बैठकर रस चूस लेते हैं। लार वही छोड़ देने से बीमारी का प्रकोप बढ़ता है। इस पर दवा कारगर साबित नहीं हो रही है। मच्छर पीले रंग की आेर आकर्षित होने से पीले रंग के परपंच खेतों में लगाने चाहिए। वायरस का प्रकोप मिर्च फसलों पर अधिक होता है। 
kisanhelp के संरक्षक श्री सिंह ने किसानों को धैर्य रखने को कहा है उन्होंने कहा सफ़ेद मक्खी का उपचार सफलता पूर्वक किया जा सकता है हमारी टीम लगातार ऐसे क्षेत्रों के दौरे कर रही है साथ ही उन्होंने किसानों को बाते कि जिन खेतों में मक्खी का प्रकोप है बो तो रोकथाम करें साथ ही वो लोग भी रोकथाम करें जिनके खेतों में अभी मक्खी का प्रकोप नही हुआ है उन्होंने उपचार हेतु कुछ तरीके भी बताये साथ ही उन्होंने सोयाबीन करने वाले किसानों से भी सतर्क रहने को कहा उन्होंने कहा की पहले से ही उपचार कर लें  

1-किसानों को  खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधे को उखाड़कर गड्डे में डालकर मिट्टी से ढंक दे।

2-खेत में सफेद मक्खी को आकर्षित करने के एिल प्रति हैक्टेयर 5-6 पीले प्रपंच चिपचिपे टेग लगाये।

3-मिर्च की फसल के आस-पास या जाल के रूप में गेंदे को रोपे। मिर्च की 15 लाईन के बाद एक लाईन गेंदे की लगाये।

4-परभक्षी पक्षियो को आकर्षित करने के लिए टी आकार के बास के डंडे 15 नग प्रति एकड़ गाडे़। 

जैविक उपचार 
 
20 लीटर गौमूत्र में 5 किलो नीम की पत्ती , 3 किलो धतुरा की पत्ती और 500 ग्राम तम्बाकू की पत्ती, 1 किलो बेशर्म की पत्ती  2 किलो अकौआ  की पत्ती  200 ग्राम अदरक की पत्ती (यदि  नही मिले तो 50ग्राम अदरक) 250ग्राम लहसुन 1 किलो गुड 25 ग्राम हींग  150 ग्राम  लाल मिर्च डाल कर तीन दिनों के लिए छाया में रख दें  यह घोले 1 एकड़ के लिए तैयार है इसे दो बार में 7-10 दिनों के अन्तेर से छिद्काब करना है प्रति 15 लीटर पानी में 3 लीटर घोल मिलाना है छिद्काब पूरी तरह से तर करके करना होगा  नाइट्रोजन का प्रयोग बिल्कल ही नही करें  यह  जहर  का कार्य करती है 

सफेद मक्खी थ्रिप्स माईट को कन्ट्रोल करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लू एस 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करे। सफेद मक्खी के लिए ट्राईजोफास 40 ईसी की दर से छिड़काव करे। एक ही रसायन कीटनाशक का बार बार उपयोग नही करे। दो या दो से अधिक कीटनाशक एवं हार्मोन्स, खरपतवार नाशक को मिलाकर नही छिड़कना चाहिए। मिर्च के खेत के आसपास चारो ओर ज्वार-मक्का की दो कतारे लगाना भी लाभदायक होता है।