सहजन

सहजन (Drumstick tree ; वानस्पतिक नाम : "मोरिंगा ओलिफेरा" (Moringa oleifera) ) एक एक बहुत उपयोगी पेड़ है। इसे हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। इस पेड़ के विभिन्न भाग अनेकानेक पोषक तत्वों से भरपूर पाये गये हैं इसलिये इसके विभिन्न भागों का विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है।
इसका पौधा लगभग १० मीटर उंचाई वाला होता है किन्तु लोग इसे डेढ़-दो मीटर की उंचाई से प्रतिवर्ष काट देते हैं ताकि इसके फल-फूल-पत्तियों तक हाथ आसानी से पहुँच सके। इसके कच्ची-हरी फलियाँ सर्वाधिक उपयोग में लायी जातीं हैं।

मुन्गा वृक्ष की खेती भारत में सबसे अधिक की जाती है। यह एक पौष्टिक सब्जी वाला वृक्ष है जिसके अनेक उपयोग भी है। यह दुनिया के सबसे उपयोगी वृक्षो में से एक माना जाता है। मुन्गा के वृक्ष के प्रत्येक हिस्से, जड़ से लेकर पत्तियों तक के लाभकारी गुण है। लगभग वृक्ष के संपूर्ण हिस्सों का उपयोग किया जाता है।
सहजन के लगभग सभी अंग (पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज से प्राप्त तेल आदि) खाये जाते हैं।
एशिया और अफ्रीका में कच्ची फलियाँ (ड्रम स्टिक) खायी जाती हैं।
कम्बोडिया, फिलीपाइन्स, दक्षिणी भारत, श्री लंका और अफ्रीका में पत्तियाँ खायी जाती हैं।
विश्व के कुछ भागों में नयी फलियाँ खाने की परम्परा है  जबकि दूसरे भागों में पत्तियाँ अधिक पसन्द की जातीं हैं। इसके फूलों को पकाकर खाया जायता है और इनका स्वाद खुम्भी (मशरूम) जैसा बताया जाता है। अनेक देशों में इसकी छाल, रस, पत्तियों, बीजों, तेल, और फूलों से पारम्परिक दवाएँ बनायी जाती है। जमैका में इसके रस से नीली डाई (रंजक) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।