बागवानी

फुलों, फलो, सब्‍जियों, खुम्‍भ उत्‍पादन व मसालों की खेती बागवानी की श्रैणी में आती है।

प्राचीनकाल से भारत में औषधियों का भंडार रहा है। ऋग्वेद में (5000) वर्ष पहले 67 औषधीय पौधों का यजुर्वेद में 81 तथा अर्थववेद में (4500-2500 वर्ष पहले) औषधीय पौधों की 290 जाति का उल्लेख किया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इन पौधों का उपयोग दवाई के रूप में किया जाता रहा है। लेकिन वर्तमान समय में इसकी कृषि की संभावनाएं अधिक हैं। क्योंकि भारत की जलवायु में इन पौधों का उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है। भारतीय औषधीय पौधों की विश्व बाजार में भी बहुत मांग है। औषधीय पौधों की पहचान बढऩे में उनकी सामाजिक जीवन में उपयोगिता बढ़ गई है।

शोध के अनुसार विकासशील देशों की 80 प्रतिशत जनसंख्या परम्परागत औषधियों से जुड़ी हुई है। बहुत से औषधीय पौधों से प्राप्त दवाईयां स्वास्थ्य की सुरक्षा के काम में आती है। वर्तमान अंग्रेजी दवाईयों में 25 प्रतिशत भाग औषधीय पौधो का तथा शेष कृत्रिम पदार्थ का होता है।
औषधीय पौधों की जो जातियां उपयोग में लायी जाती हैं वे पूर्णत: प्राकृतिक है। औषधीय पौधों की वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की आवश्यकता है। क्योंकि ये विभिन्न कीट व्याधियों से सुरक्षित है। तथा इन पर प्रतिकूल मौसम, का प्रभाव भी नहीं पड़ता है। औषधीय पौधों को विशेष खाद की आवश्यकता नहीं होती है। और ये विभिन्न प्रकार की भूमि में अनुकूलता बनाये रखते हैं। अत: किसान इनका उत्पादन कर अपनी आर्थिक स्थिति के साथ-साथ देश की आर्थिक नींव मजबूत कर सकता है।

जाने कैसे उगाएं केले का पेड़

घर पर बगीचे में केले का पेड़ उगाना बड़ा ही आसान होता है और इनकी मेंटेनेंस करना उससे भी सरल। अगर आप नरम जलवायु में रहते हैं तो आपने केले के पेडों को अक्‍सर रोड साइड या हाइवे पर उगते हुए जरुर देखा होगा। तो अगर आपको भी फल आदि के पेड़ लगाने का शौक है तो यहां दिए गए कुछ टिप्‍स को जरुर फॉलो करें।

केले के पेड़ के बारे में जानकारी-

1. सबसे पहली बात यह कि केला पेड़ नहीं होता क्‍योंकि उसके स्‍टेम में लकड़ी नहीं होती बल्कि वह पत्‍तों से लिपटा हुआ होता है।

2. इन पौधों की जिन्‍दगी तब तक होती है जब तक इन पर फल होते हैं। और फल देने के बाद इनकी जिन्‍दगी खतम हो जाती है।

लिलियम, देखभाल, प्रत्यारोपण और प्रजनन

परिवार लिली लिली परिवार की (लिलियम) यूरोप और एशिया में मुख्य रूप से वितरित कर रहे हैं कि 110 से अधिक प्रजातियों है। इसका नाम सुंदर फूल लिली के रूप में शाब्दिक अनुवाद जो drevnegallskomu शब्द "मत करो", के लिए बाध्य "सफेद सफेद।" उन्होंने कहा, सफेद, पीला, नारंगी, गुलाबी, लाल और दूसरों को हो सकता है जो सबसे विविध आकार और रंग है कि फूलों के साथ एक बारहमासी बल्बनुमा संयंत्र है। कई गेंदे एक बहुत ही सुखद खुशबू है।

लिलियम में प्रवर्धन के लिए की जाने वाली प्रमुख विधियाँ

फूल आदिकाल से ही अपने रंग-रूप और बनावट के कारण मनुष्य को अकर्षित करते रहे हैं । वर्तमान समय में फूलों की खेती एक उद्योग का रूप ले चुकी है जो विश्व के अनेक देशों की आय का मुख्य स्रोत है । हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश प्रकृति द्वारा वर-प्रदत्त उन पर्वतीय राज्यों में से एक है जहाँ की जलवायु फूलों की व्यावसायिक खेती व इसके प्रवर्धन के लिए सर्वथा उत्तम है । इसी कारण प्रदेश के किसान व बागवान फूलों की खेती में अधिक रुचि लेने लगे हैं जिसके परिणाम स्वरूप पुष्प व्यवसाय के अंतर्गत क्षेत्रफल निरंतर बढ़ता जा रहा है । वर्ष 1990 में फूलों के अंतर्गत केवल 5.0 हेक्टर क्षेत्र था जो वर्ष 2013-14 में बढ़क

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