जीरा

जीरा ( अंग्रेज़ी: क्यूमिन ; वानस्पतिक नाम:क्यूमिनम सायमिनम) ऍपियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र का देशज है। इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला।
जीरा इसी नाम (जैविक नाम: क्युमिनम सायमिनम) के जैविक पौधे के बीज को कहा जाता है। यह पौधा पार्स्ले परिवार का सदस्य है। इसका पौधा 30–50 सेमी (0.98–1.64 फ़ुट) की ऊंछाइ तक बढ़ता है और इसके फ़लों को हाथ से ही तोड़ा जाता है। यह वार्षिक फ़सल वाला मुलायम एवं चिकनी त्वचा वाला हर्बेशियस पौधा है। इसके तने में कई शाखाएं होती हैं एवं पौधा २०-३० सेंमी ऊंचा होता है। प्रत्येक शाखा की २-३ उपशाखाएं होती हैं एवं सभी शाखाएं समान ऊंचाई लेती हैं जिनसे ये छतरीनुमा आकार ले लेता है[2] इसका तना गहरे हरे रंग का सलेटी आभा लिये हुए होता है। इन पर ५-१० सेंमी की धागे जैसे आकार की मुलायम पत्तियां होती हैं। इनके आगे श्वेत या हल्के गुलाबी वर्ण के छोटे-छोटे पुष्प अम्बेल आकार के होते हैं। प्रत्येक अम्बेल में ५-७ अम्ब्लेट होती हैं।
अंग्रेज़ी में "क्युमिन" शब्द की उत्पत्ति पुरातन अंग्रेज़ी के शब्द सायमैन या लैटिन भाषा के शब्द क्युमिनम, से हुई है। यह शब्द मूलतः यूनानी भाषा के κύμινον (kuminon), के लातिनीकरण से बना है। इसका साथ यहूदी भाषा के כמון (कॅम्मन) एवं अरबी भाषा के كمون (कैम्मन) ने दिया है। इस शब्द के रूप का समर्थन कई प्राचीन भाषाओं के शब्द हैं, जैसे अक्कैडियाई भाषा में कमूनु,, सुमेरियाई भाषा में गैमुन। माईसेनियाइ यूनानी भाषा का शब्द κύμινον (क्युमिनॉ) इसका प्राचीनतम उदाहरण है।

जीरा की उन्नत खेती

जीरा का वानस्पतिक नाम है Cuminum cyminum । भारत में यह 'जीरा' या हिंदी में 'Zeera' के रूप में जाना जाता है। यह विभिन्न खाद्य तैयारी स्वादिष्ट बनाने के लिए भारतीय रसोई में इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण मसाला है। जीरा का स्वाद एक वाष्पशील तेल की उपस्थिति की वजह से है। जीरा के स्वदेशी किस्मों में, इस वाष्पशील तेल 2.5-3.5% तक मौजूद है। जीरा बड़े पैमाने पर भी विशेष रूप से मोटापा, पेट दर्द और dyspesia जैसी स्थितियों के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है।17.7% प्रोटीन, 23.8% वसा, 35.5% कार्बोहाइड्रेट और 7.7% खनिज इस प्रकार है: जीरा के पोषण का महत्व है।

जीरा के प्रमुख रोग एवं उनका जैविक उपचार

संसार में बीज मसाला उत्पादन तथा बीज मसाला निर्यात के हिसाब से भारत का प्रथम स्थान है। इसलिये भारत को मसालों का घर भी कहा जाता हैं। मसाले हमारे खाद्य पदार्थों को स्वादिष्टता तो प्रदान करते ही है साथ ही हम इससे विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते हैं। जीरा व सौंफ की मुख्य फसलें है, इनमें कई रोग लग जाते हैं जिससे इन बीज मसालों के उत्पादन के साथ गुणवता भी गिर जाती है तथा निर्यात प्रभावित होता है। इन फसलों के रोग तथा इनका प्रबन्धन इस प्रकार है
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