जैविक खेती

जैविक खेती (Organic farming) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् १९९० के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है।

जैविक खेती से फसलो की ज्यादा पैदावार और ज्यादा आय

फ़सल की लागत कम पानी कि मात्रा कम लगती है मृदा क संरचना सुधरती है जिस से फ़सल का विकास अच्छा होता है हर पर्यावरन सुधरता है मित्र कीटो के कारन उत्पादन बड़ता है

जैव तत्व के कारन फ़सल मे अन्य तत्व कि उपलब्धता बढ़ जाती है 

पौधो को जढ़ों तक हवा पानी अच्छे से मिलता है जिस से पौधा स्वस्थ होता है

जैविक खेती आधुनिक समय की मांग एवं भविष्य

यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि 60वें दशक की हरित क्रांति ने यद्यपि देश को खाद्यान्न की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया लेकिन इसके दूसरे पहलू पर यदि गौर करें तो यह भी वास्तविकता है कि खेती में अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से जल स्तर में गिरावट के साथ मृदा की उर्वरता भी प्रभावित हुई है और एक समय बाद खाद्यान्न उत्पादन न केवल स्थिर हो गया बल्कि प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हुआ है जिससे सोना उगलने वाली धरती मरुस्थल का रूप धारण करती नजर आ रही है। मिट्टी में सैकड़ों किस्म के जीव-जंतु एवं जीवाणु होते हैं जो खेती के लिए हानिकारक कीटों को खा जाते हैं। फलतः उत्पादन प्रभा