टिंडा

लौकी ,तोरई टिंडा आदि फसलों में आने वाले रोग व उनके उपचार

गर्मियों में बेल वाली सब्जियाँ जैसे लौकी, तरोई, टिंडा आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इनकी खेती करके प्रति इकाई क्षेत्रफल में अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। यदि इन सब्जियों की खेती में कुछ सामान्य रोग और व्याधियों का ध्यान दिया जाए तो प्रति इकाई क्षेत्रफल से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस मौसम में चूंकि गेहूं की फसल पक रही होती है या कट चुकी होती है। ऐसे में रस चूसने वाले कीट व पत्ती खाने वाले कीट अपना आश्रय ढूंढते हैं और ज्यादातर कीट सब्जी के फसलों में लग जाते हैं। इस प्रकार से बेल वाली सब्जियों में भी कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं, जिनमें प्रमुख

टिंडा की उन्नत खेती

भूमि :-

इसको बिभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है किन्तु उचित जलधारण क्षमता वाली जीवांशयुक्त हलकी दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है वैसे उदासीन पी.एच. मान वाली भूमि इसके लिए अच्छी रहती है नदियों के किनारे वाली भूमि भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है कुछ अम्लीय भूमि में इसकी खेती की जा सकती है पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करें इसके बाद २-३ बार हैरो या कल्टीवेटर चलाएँ |

जलवायु :-