मूँगफली

मूँगफली (peanut, या groundnut ; वानस्पतिक नाम : Arachis hypogaea) मूँगफली एक प्रमुख तिलहन फ़सल है। मूँगफली वनस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है। मूँगफली में सभी पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। प्रकृति ने भरपूर मात्रा में मूँगफली को विभिन्न पोषक तत्वों से सजाया-सँवारा है। मूँगफली में प्रोटीन, चिकनाई और शर्करा पाई जाती है। एक अंडे के मूल्य के बराबर मूँगफलियों में जितना प्रोटीन व ऊष्मा होती है, उतनी दूध व अंडे से संयुक्त रूप में भी प्राप्त नहीं होती। मूँगफली वनस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है। मूँगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी उचित है। मूँगफली वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में १.३ गुना, अण्डों से २.५ गुना एवं फलों से ८ गुना अधिक होती है।

मूँगफली वस्तुतः पोषक तत्त्वों की अप्रतिम खान है। प्रकृति ने भरपूर मात्रा में इसे विभिन्न पोषक तत्त्वों से सजाया-सँवारा है। 100 ग्राम कच्ची मूँगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है। मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है, जब कि मांस, मछली और अंडों में उसका प्रतिशत 10 से अधिक नहीं। 250 ग्राम मूँगफली के मक्खन से 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या 15 अंडों के बराबर ऊर्जा की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है। मूँगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी कारगर है। 250 ग्राम भूनी मूँगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं, वो 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकता है।
साधारण तौर पर इसकी बुवाई जून-जुलाई माह में करते हैं।

उत्पादक कटिबन्ध - यह उष्णकटिबन्धीय पौधा हैं।
तापमान - 22 से 25 से.ग्रे.
वर्षा - 60 से 130 सेमी. वर्षा उपयुक्त होती हैं।
मिट्टी - हल्की दोमट मिट्टी उत्तम होती हैं। मिट्टी भुरभुरी एवं पोली होनी चाहिए।

मूँगफली की खेती

मूंगफली एक ऐसी फसल है जिसका कुल लेग्युमिनेसी होते हुये भी यह तिलहनी के रूप मे अपनी विशेष पहचान रखती है।

राजस्थान में बीकानेर जिले के लूणकरनसर में अच्छी किस्म की मूँगफली का अच्छा उत्पादन होने के कारण इसे राजस्थान का राजकोट कहा जाता हैं।

मूंगफली की खेती करने से भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है। यदि किसान भाई मूंगफली की आधुनिक खेती करता है तो उससे किसान की भूमि सुधार के साथ किसान कि आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती है।

मूँगफली की वैज्ञानिक खेती

बहुपयोगी व्यापारिक फसल-मूँगफली 

                 भारत की तिलहन फसलो  में मूँगफली का मुख्य स्थान है । इसे तिलहन फसलों का राजा तथा गरीबों के बादाम की संज्ञा दी गई है। इसके दाने में लगभग 45-55 प्रतिशत तेल(वसा) पाया जाता है जिसका उपयोग खाद्य पदार्थो के रूप में किया जाता है। इसके तेल में लगभग 82 प्रतिशत तरल, चिकनाई वाले ओलिक तथा लिनोलिइक अम्ल पाये जाते हैं। तेल का उपयोग मुख्य रूप से वानस्पतिक घी व साबुन बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मूँगफली के तेल का उपयोग श्रंगार प्रसाधनों, शेविंग क्रीम आदि के निर्माण में किया जाता है।