रागी

रागी या मड़ुआ अफ्रीका और एशिया के सूखे क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक मोटा अन्न है। यह एक बरस में पक कर तैयार हो जाता है। यह मूल रूप से इथियोपिया के ऊँचे क्षेत्रों का पौधा है जिसे भारत में कुछ चार हज़ार बरस पहले लाया गया था। ऊँचे क्षेत्रों में अनुकूलित होने में यह बहुत समर्थ है। हिमालय में यह २,३०० मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता हैभारत में कर्नाटक ,उत्तराखंड और आन्ध्र प्रदेश में रागी का सबसे अधिक उपभोग होता है। इससे मोटी डबल रोटी, डोसा और रोटी बनती है। इस से रागी मुद्दी बनती है जिसके लिये रागी आटे को पानी में उबाला जाता है, जब पानी गाढा हो जाता है तो इसे गोल आकृति कर घी लगा कर साम्भर के साथ खाया जाता है। वियतनाम मे इसे बच्चे के जन्म के समय औरतो को दवा के रूप मे दिया जाता है। इससे मदिरा भी बनती है।

 

रागी (मडुआ) की खेती

रागी शुष्क मौसम में उगाया जा सकता है, गंभीर सूखे को सहन कर सकती है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है. कम समय वाली फसल है, 65 दिनों में कटाई कर सकते हैं. सभी बाजरा में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है. प्रोटीन और खनिजों की मात्रा ज्यादा है. महत्वपूर्ण अमीनो एसिड भी है. कैल्शियम (344 मि.ग्रा.) और पोटाशियम (408 मि.ग्रा.) की भरपूर मात्रा है. कम हीमोग्लोबिन वाले व्यक्ति के लिए बहुत लाभदायक है, क्योंकि लोह तत्वों की मात्रा ज्यादा है.