अगस्त माह में फसल में क्या करें

धान में यूरिया की एक तिहाई मात्रा कल्ले निकलते समय तथा शेष बची हुई एक तिहाई मात्रा गोभ में आने से पहले टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें।
यदि रोपाई के बाद खरपतवारनाशी का प्रयोग न कर पाये हों तो रोपाई के 15 से 25 दिन (खरपतवार की 3-5 पत्ती तथा 5-7 सेंटीमीटर ऊँचाई) की अवस्था पर बिस्पायरीबैक सोडियम 10% एस॰सी॰ 100-120 मिलीलीटर रसायन 120 लीटर पानी में घोलकर /एकड़ की दर से छिड़काव करें। छिड़काव के 48-72 घण्टे बाद खेत में पानी भर दें।

खैरा रोग की रोकथाम के लिये 5.0 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा 20 किलोग्राम यूरिया को 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जीवाणु झुलसा का प्रकोप होने पर खेत का पानी निकाल दें तथा यूरिया की टॉप ड्रेसिंग रोक दें। उपचार के लिये 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसायक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोमायसिन तथा 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

वानस्पतिक अवस्था में पत्ती लपेटक का प्रकोप दिखते ही या तनाछेदक के 5% मृतगोभ अवस्था या एक अण्डसमूह/वर्गमीटर या बाली आने के समय एक पतंगा/वर्गमीटर दिखने पर एक ट्राइकोकार्ड /एकड़ की दर से 10-12 दिन के अन्तर पर तीन बार लगायें अथवा फिप्रोनिल 3 जी॰ 25 किलोग्राम या कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी॰ 20 किलोग्राम या क्लोरेंट्रेनिलिप्रोले 0.4 जी॰ 10 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से खेत में 2-3 सेंटीमीटर खड़े पानी में प्रयोग करें।

रोपाई के 40-50 दिन बाद तना छेदक या पत्ती लपेटक का प्रकोप दिखने पर फ्लूबेंडियामाइड 480 एस॰सी॰ 150 मिलीलीटर या फिप्रोनिल 5% एस॰सी॰ 1.0 लीटर या कारटाप हायड्रोक्लोराइड 50 डब्लू॰पी॰ 600 ग्राम 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

भुनका/फुदका कीट के नियन्त्रण के लिये बुप्रोफेजिन 25 एस॰सी॰ 1.0 लीटर या थायामेथोक्जाम 25 डब्लू॰एस॰जी॰ 100 ग्राम या एसिटामिप्रिड 20 एस॰पी॰ 100 मिलीलीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। छिड़काव कीट के बैठने के स्थान पर भूमि की सतह के पास तने पर करें।

ज्वार की बुवाई के 20-25 दिन बादनिराई-गुड़ाई कर विरलीकरण कर लें।

मक्का में फूल आते समय नत्रजन की दूसरी टॉप ड्रेसिंग करें।सिल्किंग अवस्था से दाना पड़ने तक खेत में नमी अवश्य बनाये रखें।

बाजरा की बुवाई के 15 दिन बाद निराई-गुड़ाई, विरलीकरण व गैप फिलिंग करें। बुवाई के 25-30 दिन बाद यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें।

मूँगफली में 15-20 तथा 30 से 35 दिन पर निराई करें। दूसरी निराई के समय 200-250 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग करें। दीमक तथा सफेद गिडार की निगरानी करते रहें प्रकोप होने पर फिप्रोनिल 3% जी॰आर॰ 8 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। टिक्का रोग के नियन्त्रण के लिये टेबुकोनाजोल 25.9% ई॰सी॰ 600 750 मिलीलीटर/हेक्टयर का छिड़काव करें।

तिल की बुवाई 15-20 दिन तथा 30-35 दिन बाद दो निराई करें।

सोयाबीन में बुवाई के 20-25 दिन तथा 40-45 दिन बाद दो निराई करें। जुलाई के प्रथम सप्ताह तक 75-80 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर की दर से 45X30 सेंटीमीटर की दूरी पर तथा 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर अवश्य कर लें।

उर्द की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों पन्त उर्द-19, पन्त उर्द-31, पन्त उर्द-35, पन्त उर्द-40 व नरेन्द्र उर्द-1 की बुवाई अगस्त के प्रथम सप्ताह तक तथा मूंग की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों पन्त मूँग-2, पन्त मूँग-4, पन्त मूँग-5, नरेन्द्र मूँग-1 व पी॰डी॰एम॰-54 की बुवाई अगस्त के तीसरे सप्ताह तक अवश्य कर देनी चाहिये। मूंग व उर्द की बीज दर 15 किलोग्राम/हेक्टेयर तथा लाइनों की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिये। जुलाई माह में बोयी गई मूँग उर्द में 20-25 दिन पर निराई कर दें।

अरहर में कम वर्षा की स्थिति में सिंचाई की तथा अधिक वर्षा की स्थिति में जलनिकास की व्यवस्था करें।

गन्ने में अगस्त माह के अन्त तक थानों पर अन्तिम रूप से 20-25 सेंटीमीटर मिट्टी चढ़ायें उसके पश्चात वर्षा न होने पर सिंचाई करें। अधिक वर्षा की स्थिति में जलनिकास की व्यवस्था करें। माह के अन्त तक पहली बँधाई के 50 सेंटीमीटर ऊपर बढ़वार बिन्दु को छोड़ते हुये, दूसरी बँधाई कर दें। रोगग्रस्त पौधों को नियमित अन्तराल पर खेत से जड़ सहित निकालकर नष्ट करते रहें तथा रिक्त स्थान पर संवर्धित ट्राइकोडर्मा का बुरकाव कर दें। बेधक कीटों के जैविक नियन्त्रण के लिए जुलाई माह की भाँति ही ट्राइकोग्रामा के 50,000 कीट/हेक्टेयर की दर से प्रत्येक 10 से 15 दिन के अन्तर से रोपित करते रहें।

चारे के लिये 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेढ़ बनाकर उसपर दोनों तरफ जिग-जैग विधि से नेपियर के दो गाँठ के टुकड़े रोपित करें। इसके लिये प्रति एकड़ लगभग 22,000 दो गाँठ के टुकड़ों की आवश्यकता होगी। चारे के लिये 30-40 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से लोबिया की बुवाई भी की जा सकती है। चारे की अन्य फसलें जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, मकचरी आदि की बुवाई भी अगस्त माह में कर सकते हैं।

डॉ आर के सिंह
अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली
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