गन्ने की खेती में किसान भाई किस माह में क्या करें

जनवरी :-

1. पाले से बचाव हेतु खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार सिचाई करे |
2. शरदकालीन गन्ने के साथ ली गई विभिन्न अन्तह फसलो जैसे सरसों, तोरिया ,मसूर , आलू , धनिया ,लहसुन,मैथी , गेंदा प्याज तथा गेहू आदि आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई , कीट प्रबंधन एवं संतुलित उर्वेरको का प्रयोग करे |
3. बसंतकालीन बुवाई की तैयारी शुरू कर दे इस हेतु मरदा परिक्षण कराकर ही उर्वरको का प्रयोग करे |
4. बसंतकालीन बुवाई हेतु कुल क्षेत्रफल का १/३ भाग शीघ्र पकने वाली प्रजातियो के अंतर्गत रखे साथ ही बुवाई हेतु स्वस्थ बीजो का चयन कर उसका विशेष प्रबंध करें |
5 .गन्ने से खाली हुए खेत की तैयारी कर पशुओ के लिए चारे की फसल एवं सब्जियों की खेती करें |
6. अगेती पोधे की फसल की कटाई तापमान यदि काफी कम हो तो न करें इससे पैडी गन्ने में फुटाव उत्तम नहीं होगा |

फरवरी :-

1. पोधे गन्ने की कटाई जमीन से सटाकर करें जिससे फुटाव अच्छा होगा |
2. यथा संभव पोगले न छोड़ें इससे पैडी प्रबंध में कठिनाई होगी साथ ही उत्पादन अपेछित नहीं होगा |
3. शरदकालीन गन्ने में सिचाई एवं निराई , गुड़ाई तथा खरपतवार का नियंत्रण करें |
4. गन्ना बीज जिन खेतों में रोकना हो उसमें सिचाई आदि का विशेष धयान रखें , बुवाई पूर्व बीज नर्सरी में यूरिया के प्रयोग से फुटाव अच्छा होता है |
5. पैडी गन्ने की देखभाल करें, खाली जगह पर गैप फिलिंग करें तथा सिचाई व गुड़ाई के बाद एन पी के आदि उर्वरको का प्रयोग करें |
6. कुल रकवे के अनुसार प्रजातीय संतुलन को धयान में रखकर बुवाई करें |
7. गन्ना बीज उपचार हेतु पारा युक्त रसायन एग्लाल ३ % (५६० ग्राम) एरितान ६% (२८० ग्राम) या एम् ई एम् सी ६% (२८० ग्राम) या बाविस्टीन ११० ग्राम को घोलकर टुकड़ो को उपचारित करें |
8. बुवाई के समय दीमक व अंकुर बेधक के नियंत्रण हेतु फोरेट -१० जी २५ किलोग्राम या सेविडाल ४:४ जी २५ किलोग्राम या किलोरोपरिफोस -२० ई सी ५ लीटर /हैक्टयेर की दर से प्रयोग करें |
9. गन्ने की बुवाई के समय सुछम पोषक तत्वों (जिंक सल्फेट सुपर सुगर कैन स्पेशल आदि २५ किलोग्राम /है ० की दर से ) का भी प्रयोग करें |

मार्च :-

1. अच्छी उपज के लिए उत्तम प्रजातियो एवं बुवाई की नई तकनीको यथा ट्रेंच पद्धति का प्रयोग करें |
2. सफ़ेद गिडार के नियंत्रण हेतु बुवाई के समय बबरिया वेसियाना एवं मेटारैजियम ५ किलो०/है ० की दर से ६०:४० के अनुपात में प्रयोग करें |
3. आय को बढाने तथा संशाधनो के समुचित प्रयोग हेतु गन्ने के साथ साथ उड़द मूंग , फ्रास बीन मक्का आदि फासले लें |
4. सह फसल में उर्वरको की अति रिक्त मात्रा का प्रयोग करें |
5 . शरदकालीन गन्ने में यदि फ़रवरी माह में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग न की तो मार्च में सिचाई के पश्चात १३२ किलो ग्राम यूरिया/है ० की दर से टॉप ड्रेसिंग करें |
6. बावग गन्ने की कटाई उपरांत खेत में मेंड़ जोतने के बाद ठूठों की छटाई पंक्तियों के दोनों तरफ गुड़ाई एवं रिक्त स्थानों में पूर्व अंकुरित पोंधो से भराई करें |
7. ऐसीटोंबेकटर एवं पी एस बी ५ किलो ग्राम /है ० की दर से प्रथम सिचाई के उपरांत पोंधो के कूंड बनाकर डालना चाहिए या बुवाई के समय प्रयोग करें |
8. कंडुआ रोग दिखाई देने पर पोंधो को नस्ट कर दें |
9. चोटी बेधक के अंड समूह को एकत्रित कर नस्ट कर दें |
10. बसंतकालीन गन्ने में खरपतवार नियंत्रण हेतु २ किलोग्राम ऐतरा जीन सक्रिय तत्व पानी में घोल बनाकर बुवाई के तुरंत बाद छिडकाव करें |

अप्रैल :-

1. गन्ने के अच्छे फुटाव के लिए गुड़ाई कर कूंड बनाकर यूरिया खाद की दूसरी मात्रा का प्रयोग करें |
2. शरदकालीन गन्ने के साथ अन्तं: फसल की कटाई यदि हो गई हो टों सिचाई करें एवं उर्वरक की शेष मात्रा कूंड बनाकर डाल दें |
3. यदि गेंहू के बाद गन्ने की बुवाई कर रहें हैं तो लाइन से लाइन की दूरी घटाकर ६५ से ० मी ० कर लें तथा बीज की मात्रा भी बढाकर प्रयोग करें जिससे खेत में पोंधों की संख्या उचित मात्रा में रहें |
4. इसी माह में पायरीला का प्रकोप हो सकता है यदि मित्र कीट (अंड परजीवी ) इपीरिकीनिया मिलेनोल्युका यदि खेत में है तो कीट नाशी का प्रयोग न करें बल्कि सिचाई कर हलकी यूरिया का प्रयोग करें |

मई :-

1. सूखे से बचाने हेतु आवश्यकता नुसार सिचाई करते रहें |

2. इस माह में अगेती चोटी बेधक के नियंत्रण हेतु सिचाई करते रहें साथ ही सेवीडॉल ४:४ जी फोरेट -१० जी फ़रतेरा या कार्ताफ २५ किलो ग्राम / है ० या क्लोरोप्यरीफोस २० ई सी १ लीटर ७०० लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें जब अंडे एवं पतंगे दिखाई पड़े |
3. अगेती चोटी बेधक हेतु त्रैकोकार्ड ४ /है ० की दर से प्रयोग करें |
4. फसल की अच्छी बडवार कीट नियंत्रण एवं पोषक तत्वों की कमी हेतु यूरिया मैक्रोन्यूट्रीएंट का २ % घोल एवं कीटनाशक रसायन जैसे एन्डोसल्फान मेटासिड या क्लोरोप्यरीफोस २० ई सी का १ % घोल का छिडकाव करें |
5. यदि बसंतकालीन बुवाई के समय खरपतवार नियंत्रण हेतु ऐतराजीन का प्रयोग किया है तो इस माह २-४ डी १ किलोग्राम सक्रिय तत्व छिडकाव करें |

जून :-

1.उर्वरक की शेष मात्रा इस माह अवश्य पूर्ण कर ले |

2.गुड़ाई पूर्ण करने के पश्यात मिट्टी चढाई का कार्य अवश्य करें |

3.खरपतवार नियंत्रण हेतु निराई करे | यदि देर से अर्थात अप्रैल में बुबाई के समय अत्रजिन का उपयोग किया है तो इस माह मे खरपतवार नियंत्रण हेतु 2 , 4 डी० 1 KG सक्रिय तत्व 500 -600 ली० पानी मे घोल बना कर छिडकाव करें |

जुलाई :-

1.गन्ने के जिन खेतों का ब्यात पूरा हो चूका है उनमें मिट्टी चढ़ा दे |
2 . चोटी बेधक का मादा तिल्ली जुलाई माह में पत्तियों की निचली सतह पर समूह में अण्डे देती है |
अण्डे वाली पत्तियों को नस्ट कर दे तथा कार्बोफुरान ३ जी० 25 किo/ हैo की दर से अवश्य प्रयोग करें |
3. चोटी बेधक के नियंत्रण हेतु त्र्य्कोकार्ड 4 . / है० की दर से प्रयोग करें |
4 . गुरदासपुर बेधक के नियंत्रण हेतु सूखे अगोले को काटकर जमीन मे दबा दें तथा क्लोरोपाएरिफास 20 ई० सी० / ली० प्रति है० की दर से छिडकाव करें |
5 . जल निकास का उचित प्रबंधन करें |
6 . बर्षा के दिनों में पर्याप्त बर्षा न होने पर 8 - 10 दिन के अन्तेराल पर सिचाई करते रहें |
7 . सूखे से बचने जल के समुचित उपयोग एवं बिजली की कमी से निपटने के लिए ड्रिप सिचाई प्रयोग करें |
8 . सफेद गिडार के नियंत्रण हेतु लाइट ट्रैप या पोधो पर कीटनाशी छिडकाव कर नियंत्रण करें |
9 . शरद कालीन गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बंधाई अवश्य करें |

अगस्त :-

1.गुरदासपुर बेधक एवं सफेद मक्खी का प्रभावी नियंत्रण हेतु जल निकास की व्यवस्था करें तथा मनोक्रोतोफास 36 ई० सी० या क्लिरोपरिफास 20 ई० सी० 1 - 1 .5 ली० प्रति है० की दर से छिडकाव करें | 2.गन्ने की दुसरी बधाई अवश्य करें | 3.अगस्त माह मे गन्ने पर चड़ने वाले खरपतवार यथा आइपोमिया प्रजाति (बेल) की बडवार होती है , जिसे खेत से उखाड़कर फेक दे | अथवा मेट सल्फुरान मिथाइल ( ऍम० एस० ऍम० ) 4 ग्राम / है० की दर से 500 -600 ली० पानी मे घोल बना कर जब इसमें छोटे पोधे खेत मे दिखाई पड़े प्रयोग करना चहिये |

सितम्बर :- 

1 गन्नेे की तृतीय एवं बधाई का कार्य पूर्ण कर ले |
2 शरद कालीन बुवाई हेतु खेत की तैयारी शुरू कर दे |
3 पायरीला का परकोप अधीक होने पर क्लोरोपय्रीफास 20 इ० सी ० / ली ० या मोनोकोटोफास 36 इ ० सी ० , 10 - 15 ली ० / है ० की दर से पर्योग करे |

अक्टूबर : -

1 शरद कालीन बुवाई प्रारंभ कर दे , वेगयानीक बुवाई वीधी या ट्रेंच वीधी का पर्योग करे |
2 यथा संभव गन्ने की लाइने पूरब से पश्चिम की ओर होनी चाहीये|
3 लाइन से लाइन की दूरी 90 सेमी ० रखे |
4 गन्ना बीज की पारायुक्त रसायन से अवश्य उपचारित करे |
5 आय बढ़ाने हेतु शरद कालीन बुवाई में सहफसली पद्दती को अवश्य अपनाये |

नवम्बर :- 

1 फसल की अच्छी बढवार के लीए 12 - 15 दीन के अन्तराल पर सीचाई करे |
2 अच्छी पैडी लेने के लीए गन्ने की कटाई सतह से करे ताकि फुटाव अचछा हो |
3 मील को गन्ना नीरधारीत कलेंडर अनुसार पर्ची प्रापत होने पर कटाई कर आपूर्ति करे |
4 अगेती प्रजाती का पैडी गन्ना चीनी मील को साफ सुथरी स्थीती में आपूर्ती करे |
5 गन्ना संबंधी कीसी भी कठीनाई पर सम्बंधित समिति , चीनी मील एवं जीला गन्ना अधीकारी से संपर्क करे |
6 समिति कर्ज की कटोती पूर्ण करने हेतु कर्जे की पर्ची प्रापत कर गन्ने की आपूर्ती प्राथमिकता पर करे |
7 कर्जे की कटोती से सम्बन्ध में सम्बंधित समिति से संपर्क करे |
दिसम्बर :- 

1 अंत में फसल में नीराई गुड़ाई करे |
2 आवश्यकतानुसार सीचाई करते रहे |
3 पैडी फसल काटने के बाद यदी गेहू की बुवाई करना चाहते है तो गेहू की पछेती कीश्मो का चुनाव करे |
4 खेतो में जीवांश खाद्य गोबर , कम्पोस्ट , मैली को डालकर फैला कर जुताई कर दे |
5 पाले से फसल को बचाने के लीए सीचाई करे |
सभी खादों में साडा वीर का 2किलों तक प्रयोग करें।

 

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