टमाटर की खेती

 
मिट्टी तैयार करना

  • टमाटर को बलुई मिट्टी से लेकर भारी मिट्टी तक किसीभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है. टमाटर की अच्‍छी फसल उगाने के लिए एक अच्‍छी निकास व्‍यवस्‍था वाली और अच्‍छी तरह से आर्द्रता धारित क्षमता वाली अच्‍छी हल्‍की उपजाऊ दोमट मिट्टीउपयुक्‍त होती है. अच्‍छी मिलावट वाली मिट्टी का प्राथमिक महत्‍व होता है. निम्‍न और मध्‍यम दर्जे की भूमि का भी यदि बेहतर ढंग से उपयोग किया जाए तो भी अच्‍छी फसल शीघ्र ही प्राप्‍त की जा सकती है.
  • टमाटर की खेती के लिए 6.0 से 7.0 पीएच की रेंज तक प्रतिक्रिया वाली मिट्टी को वरीयता दी जाती है.
  • टमाटर को भली-भांति चूर-चूर होने वाले और समतल प्रकार के खेतों में उगाया जाता है.

 

बीजारोपण

  • सामान्‍यत: एक हेक्‍टेयर में फसल उगाने के लिए लगभग 400 से 500 ग्राम बीजों की आवश्‍यकता होती है. बीजों की मात्रा मौसम और क्षेत्र की खेती के साथ घटती-बढ़ती रहती है..
  • उत्‍तर भारत में वसंत-ग्रीष्‍म में फसल के लिए बीजों को नवंबर के अंत में बोया जाता है और जनवरी के दूसरे पखवाड़े में उन्‍हें प्रतिरोपित किया जाता है. उन क्षेत्रों में जहां पाला नहीं पड़ता है वहां जुलाई-अगस्‍त में बीजारोपण किया जाता है और अगस्‍त-सितंबर में प्रतिरोपण किया जाता है. उत्‍तर भारत में पतझड़ के मौसम में फसल के लिए बीजों को जुलाई-अगस्‍त में बोया जाता है और अगस्‍त-सितंबर में उन्‍हें प्रतिरोपित किया जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में बीजों को मार्च-अप्रैल में बोया जाता है और अप्रैल-मई में उन्‍हें प्रतिरोपित किया जाता है.
  • 21°से. पर 2 से 4 दिन के लिए हाइड्रोजन पैराक्‍साइड (0.2 से 0.6 प्रतिशत) के साथ बीज उपचार देने से 7 से 8दिन पहले ही शीघ्र ही अंकुर निकल आते हैं और इससे 22.8 प्रतिशत अधिक पैदावार हो जाती है.
  • टमाटर को सामान्‍यत: 60 से 75 सेमी की चौड़ाई में क्‍यारियों में लगाया जाता है.

 

उर्वरक का उपयोग

  • 20-25टी एचए-1 पर एफवाईएम और 100एन, 50 पी 2O5, 50 के 2O किग्रा एचए-1 उर्वरक का उपयोग करें तथा
  • प्रति एचए 150 किग्रा एन, 25 किग्रा पी 2O5

 

सिंचाई

  • सिंचाई की बारंबारता मिट्टी की प्रकृति पर निर्भर करती है.
  • भारी मिट्टी (10-15 दिन) की अपेक्षा हल्‍की मिट्टी (साप्‍ता‍हिक) को सिंचाई की आवश्‍यकता होती है.
  • फूल खिलने के दौरान पौधों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डालना चाहिए.
  • सिंचाई की दोहरे रिंग वाली पद्धति ही अनुकूल होती है. ड्रिप सिंचाई पद्धति से सिंचाई के पानी का अत्‍यंत किफायती ढंग से उपयोग होता है.

 

खेती प्रबंधन

  • कीट नाशकों और फ्रूट बोरर्स का छिड़काव – छिड़काएं कारबेरिल 50 डब्‍ल्‍ूयू पी @ 2.5 ग्रा-एलl-1 क्विनलाफॉस @ 2.0मिली एल l-1 या एण्‍डोसल्‍फान @ 2.0 मिली एल l-1 या मोनोक्रोटोफॉस @ 1.6मिली एल l-1 या कारबेरिल @ 3.0ग्रा एल-1. आवश्‍यकता पड़ने पर पुन: छिड़काव करें.
  • छिड़काएं डाइमेथोएट @ 2.0 मिली या मिथाइल-ओ-डीमेमटन @ 2.0 मिली मोनोक्रोटोफॉस @ 1.5 मिली या ट्रियाज़ोफॉस 1.5मिली एल-1 पानी.
  • रोग- अवमंदन (टमाटर) –बीजों की क्‍यारियों में नर्सरी को उठाएं. थिरम या केपटन @ 3ग्रा किग्राkg-1 के साथ बीजों का उपचार करें. 5 मिली बोरडॉक्‍स मिश्रण के साथ क्‍यारियों को गीला करें या शीघ्र मुरझाने (टमाटर) पर कोपर ऑक्‍सीक्‍लोराइड @ 3ग्रा ली मिश्रण के साथ क्‍यारियों को गीला करें

    मेन्‍कोजेब @ 3 ग्रा एल-1 का 15 दिनों के अंतराल पर दिन में दो बार छिड़काव करें.

    बैंगन की छोटी पत्‍ती (एमएलओ रोग)

    संक्रमित पौधों को हटा दें और उन्‍हें नष्‍ट कर दें.

 

फसल कटाई, भंडारण और शुष्‍क करना

  • भार कम होने से बचने के लिए सुबह के घंटों के दौरान 5 दिन के अंतराल पर फलों की कटाई की जा सकती है.
  • पैदावार : 20 – 25 टन/हेक्‍टेयर
  • लंबी दूरी के परिवहन के लिए फलों के परिपक्‍व होने पर हरित स्‍तर पर ही कटाई कर ली जाती है, जब नीचे से क्रीम रंग आना शुरू हो जाता है. टमाटरों के फल-फूल जाने पर जब वे गुलाबी या लाल हो जाते हैं तो उन्‍हें तोड़ने वाले या पके हुए स्‍तर पर स्‍थानीय और आस-पास के बाजारों में बेचने के लिए ही उनकी कटाई की जाती है. पूरी तरह पक जाने के स्‍तर पर जब इनकी सतह गुलाबी या लाल हो जाती है, तो इन्‍हें डिब्‍बों में बंद करने का उपयुक्‍त समय होता है. फलों को साफ किया जाता है, इन्‍हें छांटा जाता है और इन्‍हें श्रेणीबद्ध किया जाता है. बाद में टमाटरों को लकड़ी के बक्‍सों या गत्‍ते के डिब्‍बों में बंद किया जाता है.
  • अजय कुमार 
  • लेखक एक उन्नत शील किसान हैं