पहले बारिश, अब आ रहा नया खतरा

मौसम की मार से किसानों को लगातार दूसरे साल भी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। बेमौसम बरसात से फसलों की बर्बादी और किसानों की आत्महत्या के मामले उजागर होने के बाद अब सरकार ने सूखे की आशंका जता दी है।

मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून सामान्य से नीचे रहने की आशंका व्यक्त की है। इसका सर्वाधिक प्रभाव देश के उत्तर-पश्चिम इलाके और मध्य भारत में हो सकता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस वर्ष के पहले पूर्वानुमान को जारी कहते हुए कहा है कि जून से सितंबर के बीच कम बारिश होने की आशंका है।

बारिश सामान्य मानसून का 93 फीसदी के इर्द-गिर्द (पांच फीसदी ज्यादा या कम) रहने की उम्मीद की जा रही है। मौसम विभाग ने पिछले साल बारिश सामान्य मानसून के 95 फीसदी (पांच फीसदी ज्यादा या कम) रहने की संभावना जाहिर की थी।

मौसम विभाग का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून पर अलनीनो का खतरा मंडरा रहा है। इससे कम वर्षा का प्रभाव रहेगा। सामान्य मानसून से बेहतर बारिश की संभावना नहीं के बराबर है।

हर्षवर्धन ने कहा कि सामान्य से कम मानसून की आशंका के बारे में कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत करा दिया गया है ताकि वे भविष्य की संभावनाओं को टटोल सकें।

हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि पूर्वानुमान से घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार इस मामले पर गंभीर है और समय रहते हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने सूखे जैसी स्थिति की आशंका पर जवाब नहीं दिया।

मौसम विभाग की भविष्यवाणी का सीधा असर गर्मी में उपजने वाले अनाज, चावल, गन्ने, सोयाबीन और कपास की पैदावार पर होगा। जबकि भारत इनका सर्वाधिक उत्पादक देश है। पिछले साल में देश में कम बारिश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली व एनसीआर के किसान सर्वाधिक प्रभावित हुए थे।

मौसम विभाग के मुताबिक 90 फीसदी से कम मानसूनी बारिश को चिंतनीय स्थिति, 90 से 96 फीसदी बारिश को सामान्य से कम और 96 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य से अधिक करार दिया जाता है।

रिपोर्ट में मानसून के सामान्य से कम रहने की संभावना 35 फीसदी है, जबकि चिंतनीय स्थिति की संभावना 33 फीसदी है। यानी बारिश के संतोषजनक नहीं रहने की संभावना 68 फीसदी है। सामान्य बारिश की संभावना का प्रतिशत केवल 28 है। सामान्य से अधिक बारिश की संभावना केवल एक फीसदी है।

साभार अमर उजाला