बजट 2020 में किसानों को क्या मिला?

सरकार का बजट 2020 में किसानों को कुछ विशेष क्या मिला क्या छूटा, किसानों को क्या विशेष मिल सकता है इस पर बजट पर एक नजर-
उन राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो केंद्र के मॉडल लॉ को मानेंगे।
-पानी की कमी की समस्या, 100 ऐसे जिलों के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे।
-अन्नदाता ऊर्जादाता भी है। पीएम कुसुम स्कीम से फायदा हुआ है। अब हम 20 लाख किसानों को सोलर पंप देंगे।
-15 लाख किसानों को ग्रिड कनेक्टेड पंपसेट से जोड़ा जाएगा।
-अगर बंजर जमीन है तो सोलर पावर जेनरेशन यूनिट लगा सकते हैं, उसे ग्रिड को बेच भी सकते हैं।
-खाद के बैलेंस्ड इस्तेमाल पर जोर. अधिक केमिकल फर्टिलाइजर यूज करने की प्रवृत्ति घटेगी।
-162 मिलियन टन के भंडारण की क्षमता है। नाबार्ड इसे जीयोटैग करेगा. नए बनाए जाएंगे, ब्लॉक और ताल्लुक के स्तर पर बनेंगे, राज्य सरकार जमीन दे सकती है। एफसीआई अपनी जमीन पर भी बना सकती है।
विलेज स्टोरेज स्कीम - सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए, इसमें महिलाओं की भूमिका अहम होगी।
-मिल्क, मीट, फिश को प्रीजर्व के लिए किसान रेल बनेगा।
-कृषि उड़ान लांच किया जाएगा. ये प्लेन कृषि मंत्रालय की तरफ से चलेंगे।
- होर्टिकल्चर - 311 मिलियन टन के साथ ये अन्न उत्पादन के आगे निकल चुका है, हम राज्यों को मदद करेंगे। वन प्रॉडक्ट , वन डिस्ट्रिक्ट का स्कीम बनाएंगे।
-इंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम - संचयित इलाकों में नैचुरल फार्मिंग - जैविक खेती के लिए पोर्टल है. ऑनलाइन मार्केट मजबूत बनाया जाएगा
- फिनांसिंग ऑन निगोशिएबल वेयर हाउसिंग स्कीम - मजबूत बनाएंगे।
-नॉन बैंकिंग फाइनान्स कंपनियों को उत्साहित किया जाएगा. 15 लाख करोड़ रुपए का कर्ज किसानों को देने का लक्ष्य है। मिल्क प्रोसेंसिंग क्षमता 108 मिलियन टन करने का लक्ष्य।
- समुद्री इलाकों के किसानों के लिए फिश उत्पादन का लक्ष्य 208 मिलियन टन। 3077 सागर मित्र बनाए जाएंगे, तटवर्ती इलाकों के युवाओं को रोजगार मिलेगा।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना - 58 लाख एसएचजी बने हैं. इन्हें मजबूत बनाएंगे।

इन 16 स्कीमों के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये का फँड आवंटित किया जाएगा। कुल फंड में कृषि, सिंचाई के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपये की राशि शामिल है।

क्या थीं उम्मीदें
उम्मीद की जा रही थी कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-किसान) का बजट 20 पर्सेंट कम कर सकती है। कृषि मंत्रालय ने इस योजना के तहत किसानों को पैसे देने के लिए 60,000 करोड़ रुपये की मांग की थी, जबकि 2019-20 के बजट में इस योजना के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन तय किया गया था।

किसानों के हाथों में ज्यादा पैसे लाने की कोशिश
शहरी इलाकों की हालत बेहतर नहीं है। FMCG पर होनेवाले खर्च में 36-40% का योगदान ग्रामीण इलाकों से आता है। यह आमतौर पर शहरी इलाकों के मुकाबले तेज रहता है और यहां की सुस्ती दूर करने और ग्रामीण उपभोक्ताओं, खासतौर पर किसानों के हाथ में ज्यादा पैसा लाने का समय आ गया है। बजट से उम्मीद की जा रही थी कि किसान क्रेडिट कार्ड्स जैसे उधारी के संस्थागत साधनों के जरिए ग्रामीण किसानों को फायदा पहुंचाया जा सकता है।

हालांकि ऐसी रियायतों से ग्रोथ को सपॉर्ट देने के लिए जरूरी संसाधान तलाशने का दबाव बनेगा। पूरी तरह अतिरिक्त उधारी पर निर्भर रहने के बजाय सरकार के पास ऐसेट बेचकर फंड जुटाने का भी मौका है।
किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर के सिंह कहते हैं कि बजट किसानों के लिये कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है, चीनी उद्योग को बड़ी राहत की उम्मीद थी जिस पर सरकार ने निराश किया।
उन्होंने बताया कि किसानों की आय दुगनी करने का राग सरकार द्वारा अलापा गया लेकिन कोई कदम उठाए नही गए हैं। सरकार बजट 2020 में किसानों के साथ2020 ही खेला है।

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