बेहतर उपज के लिए फरवरी माह में कृषि एवं बागवानी कार्यों को करें

बसंत कालीन के समय में कृषि और बागबानी कार्य करने के लिए क्या क्या करना चाहिए यह किसानों को जानकारी होना अति आवश्यक है ,किसान भाई समय के अनुसार अपनी फसलों की देखवल कर सकते हैं 

सब्जियों की खेती

- आलू और टमाटर की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब 1.0 किग्रा 75 प्रतिशत हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

- लहसुन में यदि नाइट्रोजन की दूसरी टाप ड्रेसिंग न की हो तो यूरिया की 75 किग्रा मात्रा बुवाई के 60 दिन बाद डालकर सिंचाई करें. रोग एवं कीट से बचाव के लिए एक सुरक्षात्मक छिड़काव मैंकोजेब 2 ग्राम तथा इमिडा क्लोरपिंड 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर करें.

- लोबिया की बुवाई के लिए इस समय पूसा दो फसली, लोबिया 263 व पूसा फागुनी उपयुक्त किस्में हैं.

- बुवाई से पूर्व भिण्डी के बीज को 24 घंटे पानी में भिगो देना चाहिए.

बागवानी कार्य

बागवानी 

आम में खर्रा रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) से बचाव के लिए माह के प्रथम पक्ष में घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्लू. पी. 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम 1 लीटर पानी में घोलकर) घोल का छिड़काव करें. द्वितीय पक्ष में कैराथेन या कैलिक्सिन 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

- आम में भुनगा कीट की रोकथाम के लिए इमिड़ाक्लोप्रिड 1.0 मिली. प्रति 3 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

पुष्प व सगन्ध पौधे

- गुलदाउदी के सकर्स को अलग करके गमलों में लगा दें.

- गर्मी के फूलों जैसे जीनिया, सनफ्लावर, पोर्चुलाका व कोचिया के बीजों को नर्सरी में बोयें.

- मेंथा में 10-12 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें तथा बुवाई के 30 दिन बाद निराई-गुड़ाई कर दें.

गेहूं

- बुवाई के समय के हिसाब से गेहूं में दूसरी सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद तथा तीसरी सिंचाई 60-65 दिन की अवस्था में कर दें. चौथी सिंचाई बुवाई के 80-85 दिन बाद बाली निकलने के समय करें.
- गेहूँ के खेत में चूहों का प्रकोप होने पर जिंक फास्फाइड से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम फास्फाइड की टिकिया का प्रयोग करें.

जौ: खेत में यदि कंडुआ रोग से ग्रस्त बाली दिखाई दे तो उसे निकाल कर जला दें.

चना: चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाव के लिए फली बनना शुरू होते ही बैसिलस थूरिनजेन्सिस (बी.टी.) 1.0 किग्रा अथवा फेनवैलरेट 20 प्रतिशत ई.सी.1.0 लीटर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

मटर मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर 2.0 किग्रा घुलनशील गंधक या कार्बेन्डाजिम 500 ग्राम दर से 12-14 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें.

राई माहूं कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर मिथाइल-ओ- डिमेटान 25 ई.सी. 1.00 लीटर या मैलाथियान 50 ई.सी. 1.50 लीटर का प्रयोग करना चाहिए.

गन्ना

- बसंतकालीन गन्ने की बुवाई देर से काटे गये धान वाले खेत में और तोरिया/मटर /आलू की फसल से खाली हुए खेत में की जा सकती हैं.

- गन्ने की मध्यम एवं देर से पकने वाली प्रमुख किस्में - को.शा. 767, को.शा. 802, को.शा. 7918 एवं को.शा. 8118 आदि हैं. तो वहीं, जल्दी तैयार होने वाली किस्में - को. पन्त 211, को.शा. 687 व को.शा. 8436 आदि हैं.
जल-निकास की समस्या वाले क्षेत्रों के लिए बी.ओ. 54 व बी.ओ. 91 अच्छी किस्में हैं.

 

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