मूंग की प्रमुख, बिमारियां एवं उनकी रोकथाम

तम्बाकू की इल्ली

व्यस्क पतंगों के अगले पंख सुनहरे भूरे रंग के सफेद धारिया लिये होती है। पिछले पंखों पर भूरे रंग की शिराएं होती है। इल्लीयां हरे मटमैले रंग की होती है जिनके शरीर पर पीले हरे एवं नारंगी रंग की लम्बवत धारियां होती है। उदर के प्रत्येक खण्ड के दोनो ओर काले धब्बे होते है। 

लक्षण

इल्ली प्रारंभिक अवस्था में समुह में रहकर पत्तियों के पर्ण हरित पद्रार्थो को खाती है। जिससे पौधों की सभी पत्तियां सफेद जालीनूमा दिखाई देती है।

नियंत्रण

फसल में जालीयुक्त सफेद पत्तियां जिनमें छोटी इल्लियां समूह में रहती है तो तोड़कर नष्ट करे दे।

मोनोक्रोटोफॉस 35 ई.सी. 1-5 लीटर या ट्राइजाफॉस 40 ई.सी. 800 मि.ली. या क्वीनालफॉस  1-5 लीटर 75 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हे. छिड़काव करें।

 बलिस्टर बीटल 

पहचान 

 इसकी व्यस्क मध्यम आकार की होती है सिर उदर एवं वक्ष गहरे काले रंग का होता हैA पंख में नारंगी रंग के पट्टीनूमा संरचना लिये हुये होते है। इसकी व्यस्क मृदा में अण्डे देती है।

लक्ष्ण 

व्यस्क भृंग हरे फलियों के फूलों एवं हरे दानों पर आक्रमण करते है इससे दाने भरने की अवस्था प्रभावित होती है। ये भृंग एक प्रकार का पीला द्रव स्त्रावित करते है जिसे बिलिस्टर कहते है।

 नियंत्रण

1- नाईट्रोजन का समुचित उपयोग करें।

2- फ्युरोमॉन एवं प्रकाश प्रंपच का उपयोग रात्री के समय व्यस्क कीटों की संख्या को नियंत्रित करने के लिये इस्तेमाल करें।

3- जालीयुक्त नेट का इस्तेमाल करें।

4- वयस्क कीटों को केरोसीनयुक्त पानी में डालकर नष्ट करें।

 सफेद मक्खी

व्यस्क कीट 1 से 2 मि.मी. आकार के हल्के पीले रंग के होते है। इनके पंखों के उपर सफेद मोमयुक्त परत होती है। दिन के समय यह पत्तियों की निचली सतह पर पायी जाती है। शिशु गोल या अण्डाकार एवं एवं हरे सफेद रंग लिये होते है।

लक्षण

यह कीट तीन प्रकार से फसलों को नुकसान पहुचाता है। व्यस्क एवं शिशु दोनो ही पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते है। जिससे पौधों की वृद्धि रूक जाती है। पत्तियां पीली होकर गिरने लगती है तथा फुल एवं फलियां झड जाती है। रस चूसने के साथ साथ ये कीट एक प्रकार का चिपचिपा पद्रार्थ निकालते रहते है जो नीचे की पत्तियों पर जमा हो जाते है। इस पद्रार्थ पर काली फफुंद उगने लगती है ये कीट पीला मोजेक बिमारी के वाहक का कार्य करते है।

नियंत्रण

क्वीनालफॉस 25 ई.सी. 1-5 लीटर प्रति हे. 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। जिस क्षेत्र में पीला मोजेक बिमारी का प्रकोप हो वहां इमीडॉक्लोप्रिड द्वारा बीजोपचार करें।

 चने की इल्ली

पहचान

इसकी लार्वा 3-5 से.मी. लम्बी हरा&भूरा रंग लिये हुये रोमयुक्त गहरे पीले धारीनूमा होती है। इसकी वयLक मध्यम आकार की हल्के भूरा उभार लिये हुये मूखवाला अग्र पंख सुनहरा हरा&पीला एवं गहरा भूरा तथा शरीर के मध्य में गोल धब्बानूमा प”च् पंख सफेद रंग का एवं किनारा चौडे काले रंग का होता है।

लक्षण

लार्वा पत्तियों पर खुरचननूमा संरचना बनाकर दानो की फलियों को छेदकर बीज को खाती है। इसका सिर अंदर की तरफ एवं शरीर का भाग बाहर की तरफ लटका रहता है।

नियंत्रण

गहरी ग्रीष्मकालीन जुताई करे जिससे लार्वा एवं प्यूपा सूर्य के प्रकाश द्वारा उपरी सतह पर आकर परभक्षी द्वारा नष्ट हो जावें।

1- फसलों की समय पर बुवाई करें।

2- अंतवर्ती एवं मध्यवर्ती फसले अवश्य लें।

3- क्वीनॉलफॉस 25 ई.सी. 1000 मि.ली. की दर से या डेल्टामिथरीन 2.8 ई.सी. 750 मि.ली. की दर से या हिसाब से 600 से 700 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

 

4- एफिड (माहो)

निम्फ एवं व्यस्क पत्तियों तनों फूलों एवं दानों पर समूह में एकत्रित होकर रहते है। व्यस्क काले रंग की चमकदार 2 मि.मी. लंबी एवं कभी कभी पंख लिये हुये होती है। निम्फ में वैक्स युक्त परत चडी होती है जिसके कारण वह धूसर मटमैली दिखाई देती है।

लक्षण

निम्फ एवं व्यस्क भारी संख्या में पत्तियों टहनियों एवं दानों पर दिखाई देते है। ये कोमल तनों एवं पत्तियों को रख चूसते है। कोमल पत्तिया इनके प्रभाव से सिकुडी हुई दिखाई देती है।

नियंत्रण

फास्फामिडॉन 250 मि.ली. 600 से 700 लीटर पानी में प्रति हे. के हिसाब से या मिथाईल डिमेटान 25 ई.सी. 500 मि.ली. 600 लीटर पानी में प्रति हे. छिडकाव करे।

1- शीघ्र बोवाई करें।

2- नाईट्रोजन एवं पानी की कम मात्रा का इस्तेमाल करें।

 

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