मूंग

मूँग एक प्रमुख फसल है। इसका वानस्पतिक नाम बिगना सैडिएटा (Vigna radiata) है। यह लेग्यूमिनेसी कुल का पौधा हैं तथा इसका जन्म स्थान भारत है। मूँग के दानों में २५% प्रोटिन, ६०% कार्बोहाइड्रेट, १३% वसा तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं।
मूँग के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक[
उत्पादक कटिबन्ध -
तापमान -
वर्षा - 60 से 75 सेमी.

जायद में दलहन की फसल लाभकारी सौदा

जायद में दलहन की फसल लाभकारी सौदा 
दलहनी का उत्पादन लगातार घटने से इनकी कीमतोे में आग लगी है। दाल गरीबों की थाली से दूर हो चुकी है। एसे में जायद की फसल उगाकर इस आग को बुझाया जा सकता है। रबी फसलों की कटाई फरवरी माह से शुरू होकर अप्रैल तक चलती रहती है और सभी खेत खाली पड़े रहते हैं। जायद ऋतु में दिन 12-13 घंटे का होने से दलहनी फसलों में ज्यादा भोजन बनता है जिससे फसल अवधि 70 से 80 दिन मात्र ही होती है। कम अवधि होने से उत्पादन लागत कम होने के साथ कीट व्याधि व जानवरों से नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है और भरपूर उत्पादन मिलता है। 
खेत की तैयारी

मूंग की आर्गेनिक खेती

 

मूँग एक प्रमुख फसल है। इसका वानस्पतिक नाम बिगना सैडिएटा है। यह लेग्यमिनेसी कुल का पौधा हैं तथा इसका जन्म स्थान भारत है। मूँग के दानों में २५% प्रोटिन, ६०% कार्बोहाइड्रेट, १३% वसा तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं।

मूंग की प्रमुख, बिमारियां एवं उनकी रोकथाम

तम्बाकू की इल्ली

व्यस्क पतंगों के अगले पंख सुनहरे भूरे रंग के सफेद धारिया लिये होती है। पिछले पंखों पर भूरे रंग की शिराएं होती है। इल्लीयां हरे मटमैले रंग की होती है जिनके शरीर पर पीले हरे एवं नारंगी रंग की लम्बवत धारियां होती है। उदर के प्रत्येक खण्ड के दोनो ओर काले धब्बे होते है। 

लक्षण

इल्ली प्रारंभिक अवस्था में समुह में रहकर पत्तियों के पर्ण हरित पद्रार्थो को खाती है। जिससे पौधों की सभी पत्तियां सफेद जालीनूमा दिखाई देती है।

नियंत्रण

मूंग की खेती किसानो की आय का अच्छा साधन

जलवायु  मूंग की फसल सभी मौसमों में उगाई जाती है , उत्तरी भारत में इसे वर्षा ( खरीफ ) तथा ( ग्रीष्म ) ऋतू में उगाते हैं , दक्षिणी भारत में मूंग को रबी मौसम में उगाते हैं , इसकी फसल के लिए अधिक वर्षा हानिकारक होती है , ऐसे क्षेत्रों में जहाँ 60-75 सेमी तक वार्षिक वर्षा होती है मूंग की खेती के लिए उपयुक्त हैं पर , मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता पड़ती है , मूंग की खेती समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई तक की जा सकती है , पौधों पर फलियाँ आते समय तथा फलियाँ पकते समय शुष्क मौसम तथा उच्च तापक्रम अधिक लाभप्रद होता है .

भूमि का चुनाव एवं तैयारी

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