हरियाली

प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से ही पेड़ पौधों में ईश्वरीय रूप को स्थान दे कर उनकी पूजा का विधान बताया गया है। जल में वरुण देवता की परिकल्पना कर नदियों व सरोवरों को स्वच्छ व पवित्र रखने की बात कही गई है। वायु मंडल की शुचिता के लिए वायु को देवता माना गया है। 

वेदों व ऋचाओं में इनके महत्व को बताया गया है। शास्त्रों में पृथ्वी, आकाश, जल, वनस्पति एवं औषधि को शांत रखने को कहा गया है। इसका आशय यह है कि इन्हें प्रदूषण से बचाया जाए। यदि ये सब संरक्षित व सुरक्षित होंगे तभी हमारा जीवन भी सुरक्षित व सुखी रह सकेगा।

श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह अमावस्या पर्यावरण के संरक्षण के महत्व व आवश्यकता को भी प्रदर्शित करती है। देश के कई भागों विशेष कर उत्तर भारत में इसे एक धार्मिक पर्व के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाया जाता है। 

इस दिन नदियों व जलाशयों के किनारे स्नान के बाद भगवान का पूजन-अर्चन करने के बाद शुभ मुहूर्त में वृक्षों को रोपा जाता है। इसके तहत शास्त्रों में विशेष कर आम, आंवला, पीपल, वट वृक्ष और नीम के पौधों को रोपने का विशेष महत्व बताया गया है।5 जून को संसार भर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन हम सभी को यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि जहाँ भी जगह होगी हम वृक्षों को लगाएँगे।

पीपल, बड़, नीम, सागौन, अर्जुन, बेहड़ा, आँवला, बेल, अमरुद, नींबू, भीमल, अमरुद, कटहल, जामुन और सब चौड़ी पत्ती के पेड़ इसके और धरती के सब जीवों के जीवन रक्षा आधार है। धरती के भिन्न स्थानों पर भिन्न जाति-प्रजाति के वृक्ष-पौधे-लताएँ लुटती-मरती धरती को प्राण देने का काम कर सकते हैं। शहरों में जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। पेड़ों के लगाने से पानी भी धरती में जाएगा।

बेल, नींबू, आँवला, अमरुद व पपीता इस स्वास्थ्यरक्षक पंचवटी के साथ यदि केला और पौधों में पोदीना, तुलसी, एलोविरा तथा गिलॉय की बेल जोड़ ले तो सोने पर सुहागा हो जाता है। यह सब बहुत ही कम स्थान लेने वाले होते हैं। सड़कों के किनारे, मध्यमवर्गीय सोसायटियों में यहाँ तक की फ्लैटों की बालकनी का भी सदुपयोग हो सकता है।

राजस्थान में अब छाई रहेगी हरियाली

राजस्थान में अब छाई रहेगी हरियाली

राजस्थान में अब छाई रहेगी हरियाली , अब फसलों के साथ फल भी ले सकेंगे किसान, बढ़ेगा अतिरिक्त आय का जरिया  कड़ी मेहनत कर फसल उत्पादन करने वाले किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया बढ़ाने के लिए दो योजनाएं शुरू की गई है। इसके तहत किसान आने वाले समय में फसलों के साथ खेत से फल भी ले सकेंगे। इससे उनकी आय में इजाफा होगा।