पशुपालन, मुर्गीपालन तथा मत्स्य पालन सम्बन्धी सुझाव

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पशुपालन, मुर्गीपालन तथा मत्स्य पालन सम्बन्धी सुझाव

पशुपालन

पशुपालक भाई ध्यान दें अब गर्मी का मौसम आ गया है अतः अपने पशुओं को गर्मी से बचाए।पशुओं को तेज धूप में न रहने दें और जहाँ तक संभव हो उन्हें छायादार जगह पर रखें और उन्हें 3-4 बार पानी अवश्य पिलायें।

गर्मी अधिक होने पर नहलाने से पशु स्वस्थ रहेंगें और उनकी उत्पादकता भी अप्रभावित रहेगी।

भोजन में हरा चार अवश्य दें, तथा 50 से १०० ग्राम खनिज लवण और 50 ग्राम नमक दाना में मिला कर देना लाभकारी होता है।

भूसे तथा दाने को पशुओं को खिलाने से पहले भिगोकर रखें ऐसा करने से भोजन जल्दी एवं आसानी से पच जायेगा तथा गर्मी का असर कम होगा। पशुओं के ऊपर चिचड़ा, किलनी, जुयें आदि से छुटकारा दिलाने के लिये पशु चिकित्सक की सलाह से कीटनाशक दवायें जैसे आइवेरमेक्टीन या मोक्सिडेक्टिन से नहलायें।

गर्मी के बाद जैसे वर्षा प्रारंभ होता है तो पशुयों में खुरपका-मुँहपका, गलाघोंटू तथा लमगड़िया का प्रकोप होने की आशंका रहती है अतः आप अपने पशुओं को इस बिमारियों का टीका अवश्य लगवाएं तथा गाय और भैंस के बछड़ों को कृमिनाशक दवा का पान कराएं इसके साथ ही यह आवश्यक है कि अगर आपने नेपियर घास नही लगाया है तो लगा ले इससे आपको वर्ष भर हर सुपाच्य तथा पौष्टिक चारा मिलता रहेगा।

साथ ही साथ सूडान घास, एमपी चरी, मक्का, ग्वार आदि हरे चारे के लिए बुआई करे।

मुर्गी पालन

मुर्गियों को कीड़ो के लिए दवा समय से देना सुनिश्चित करें तथा जो मुर्गियां कम अंडे दे रही हो उनकी छंटनी कर दें। बदलते मौसम में मुर्गियों को प्रकाश स्वच्छ जल तथा संतुलित आहार की व्यवस्था कराएं और आरडी तथा फाउल पाक्स का टीकाकरण समय पर करा लें।

मत्स्य पालन

मत्स्य पालक कृषक अपना कार्य करते रहे तथा तालाबो में चूना एवं पोटेशियम परमैग्नेट का गोल बनाकर डाल सकते है जिससे बिमारियों की आशंका कम हो जाती है।गर्मी में जल स्तर तेजी से गिरता है तथा पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है अतः पानी के स्तर को बनायें रखें।मछलियाँ कई बार पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा कम होने पैर ऊपर आ जाती हैं, ऐसे समय में अगर संभव हो तो ऐरिअटर चलायें ।ऐरिअटर न होने की दशा में ताजा पानी घुमावदार नालियों से तलाब में डालें। जिन किसान भाइयों ने मछली के सीड स्टॉक डाल दिए है, वे भी पानी को चेक करतें रहें तथा बीच-बीच मे प्रतिपूरक आहार देते रहे । अप्रैल से मछलियों की बढ़वार तेजी से शुरू होती है अतः उनके भोजन की व्यवस्था पैर भी ध्यान दें।समय-समय पैर आप जाल भी डालते रहे जिससे मछलियों में गति बनी रहेगी तथा उन्हें कोई वीमारी तो नही है, इसका भी पता चलता रहेगा।

डॉ आर के सिंह,

अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र बरेली

+91 94366 06353