जैविक कृषि सुरक्षा

जैविक खादों का मृदा उर्वरता और फसल उत्पादन में महत्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है । जिसकी अधिकतर जनसंख्या गांवों में रहती है जहां अनेक प्रकार के खाधान्नों का उत्पादन होता है । वास्तव में खाध पदार्थों का सीधा संबंध जनसंख्या से है । इस प्रकार जनसंख्या के बढ़ने के साथ साथ ये आवश्यक हो गया है कि खाधानों का उत्पादन भी बढाया जाए अतः घास के मैदान एवं जंगलों से काट कर भूमि को अधिक ऊपजाऊ बनाया जा रहा है ताकि खाधानों की उत्पादकता को बढाया जा सके लेकिन प्रदुषण मृदा अपरदन जैसी समस्याएं सामने आ रही है।

धान की फ़सल में खरपतवार प्रबन्धन

देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ खाद्यानों की मांग को पूरा करना एक गम्भीर चुनौती बनी हुई है । धान हमारे देश की प्रमुख खाद्यान फ़सल है । इसकी खेती विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में लगभग 4 करोड़ 22 लाख है0 क्षेत्र में की जाती है आजकल धान का उत्पादन लगभग 9 करोड़ टन तक पहुंच गया है । राष्ट्रीय स्तर पर धान कीऔसत पैदावार 20 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर है। जो कि इसकी क्षमता से काफ़ी कम है, इसके प्रमुख कारण है -  कीट एवं ब्याधियां,  बीज की गुणवत्ता,  गलत शस्य क्रियाएं,  तथा खरपतवार।

जहर का कहर खेत से पहुंच रहा पेट तक

फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों से थाली में बढ़ रहा जहर का स्तर कैंसर के मरीज बढ़ा रहे हैं कीटनाशक

आम के आम - गुठलियों के दाम

कम खर्च में- अधिक लाभ कैसे कमा यें?

आज भारत ने अनाज उत्पादन के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की मदद से, आत्म निर्भरता हासिल कर ली है। लेकिन कुछ प्रमुख समस्याएं भी पैदा हुई हैं। उदाहरण के लिये धान और गेहूं की फसलों की निरंतर बुवाई करने से कई खरपतवार पनपने का अवसर मिलता है। जल्दी-2 सिंचाई करने से मिट्टी में रोग और सूक्ष्म जीव बढ़ने का अवसर मिलता है। जिसके द्वारा मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। 

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