जैविक कृषि सुरक्षा

कीटनाशक खुद तैयार करें

युवा लोगो की ज़िन्दगी बचाने के लिए शराबखाने सहित समस्त नशीले सामानों की बिक्री हमेशा के लिए बंद किया जाये। नारी जाति की जिन्दगी बचाने के लिए वेश्यालय सहित समस्त असलीलता को परदर्शित करने वाले टीवी, अख़बार, इन्टरनेट तथा फिल्मो को पूर्ण रूप से बंद किया जाये। गौमाता की जिन्दगी बचाने के लिए सभी कत्लखानो को बंद किया जाये तथा उनके भोजन के लिए समस्त गोचर भूमि को खाली किया जाये। किसानो की जिन्दगी बचाने के लिए रासानिक खादों और जहरीली कीट नाशको को बंद किया जाये तथा अंग्रेजो से लेकर अबतक जिंतनी भी ज़मीनों को किसानो से छिना गया है उन ज़मीनों को किसानो को वापस किया जाये। गंगा ,यमुना सहित समस्त नदियों को बांध

खरपतवारों की दोस्ती से करें खेती

हजारो सालों से खेती खरपतवारों को मार कर की जारही है किन्तु अफ़सोस की बात है की खरपतवार नहीं वरन अब किसान ही मरने लगे है. जो दवाई वे कीड़े मकोड़ों और नींदों को मारने के लिए खरीद कर लाते हैं खुद पी कर आत्म हत्या करने लगे हैं. भारतीय प्राचीन खेती किसानी में खेती जमीन को पड़ती कर उपजाऊ और पानीदार बनाईं जाती थी. पड़ती करने से जमीन पूरी तरह अपने आप पैदा होने वाली वनस्पतियों से ढँक जाती थीं इस ढकाव में अनेक धरती में रहने वाले जीव जंतु सक्रीय हो जाते हैं वे बहुत जल्दी जमीन को छिद्रित, उर्वरक और पानीदार बना देते हैं.

ट्राइकोडर्मा का महत्त्व व उपयोग,मृदा जनित बिमारियों का जैव नियंत्रण

ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है। ट्राइकोडर्मा एक कवक (फफूंद) है। यह लगभग सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में पाया जाता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा - जनित पादप रोगों के नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

कुदरती खेतीः क्या है शुरू कैसे करें?,लाभ तथा अन्य जानकारियां

र्ज और जहर बगैर खेती के कई रूप और नाम हैं- जैविक, प्राकृतिक, जीरो-बजट, सजीव, वैकल्पिक खेती इत्यादि। इन सब में कुछ फर्क तो है परन्तु इन सब में कुछ महत्वपूर्ण तत्त्व एक जैसे हैं। इसलिये इस पुस्तिका में हम इन सब को कुदरती या वैकल्पिक खेती कहेंगे। कुदरती खेती में रासायनिक खादों, कीटनाशकों और बाहर से खरीदे हुए पदार्थों का प्रयोग या तो बिल्कुल ही नहीं किया जाता या बहुत ही कम किया जाता है। परन्तु कुदरती खेती का अर्थ केवल इतना ही नहीं है कि यूरिया की जगह गोबर की खाद का प्रयोग हो एक बात शुरू में ही स्पष्ट करना आवश्यक है कि कुदरती खेती अपनाने का अर्थ केवल हरित क्रांति से पहले के तरीक

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