खेती में कोताही बर्दाश्त नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ सहयोगियों को कड़ा संदेश भी दिया है। खास संदेश है कि सरकार की प्राथमिकता वाले कृषि क्षेत्र में कोताही बर्दाश्त नहीं है। तभी को कृषि मंत्रालय से जुड़े दोनों राज्य मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। समूची सरकार में एक मात्र कृषि मंत्रालय है, जहां तीन-तीन राज्य मंत्रियों का सबसे बड़ा अमला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अगले पांच सालों में किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। किसानों की मुश्किलों को दूर करने के लिए उनकी चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए कई आकर्षक योजनाएं लांच की गई हैं।
सूत्रों की मानें तो गुजरात से चुनकर आये मोहन भाई कुंडारिया कृषि मंत्रालय में समय नहीं दे पा रहे थे। उनका सरोकार मंत्रालय के कामकाज से कम होने की वजह से उन्हें मंत्री परिषद से हटा दिया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से चुनकर संसद पहुंचे दूसरे कृषि राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान को भी प्रदर्शन संतोषजनक न होने की वजह से जल संसाधन मंत्रालय में भेज दिया गया। हालांकि बालियान वेटनरी साइंस में पीएचडी हैं, पर उनका उपयोग नहीं हो सका।
बताया जाता है कि उनका सर्वाधिक समय अपने गृह राज्य की राजनीति में बीता। दूसरी ओर इन मंत्रियों की जगह जिन लोगों को नियुक्त किया गया है, उनकी राजनीतिक सूझबूझ और पूर्व के प्रदर्शन को तरजीह दी गई है। एस. एस. अहलूवालिया केंद्र में शहरी विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। पुरुषोत्तम रूपाला गुजरात में कृषि मंत्री के रूप में अपना प्रदर्शन दिखा चुके हैं। तीसरे राज्य मंत्री सुदर्शन भगत भी झारखंड में कई विभागों के अहम पदों पर मंत्री रह चुके हैं।
कृषि मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री राधा मोहन सिंह अपने दो साल के कार्यकाल में खुद को मेहनती के रूप में साबित कर चुके हैं। लेकिन मंत्रालय के कामकाज की गति को और तेज करने की जरूरत को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने तेज-तर्रार और अनुभवी राज्य मंत्रियों की नियुक्ति की है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार की चाक-चौबंद व्यवस्था से खेती और किसानों के दिन बहुरेंगे।