रासायनिक उर्वरकों का विकल्प गोमूत्र और खाद

रासायनिक उर्वरकों का विकल्प गोमूत्र और खाद

लोग जैविक कृषि उत्पादों के उपयोग के प्रति जागरूक हो रहे हैं। कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से हमने चावल, दाल, सब्जियों और फलों को भी विषैला बना लिया है। आज खाद्य पदार्थों में विषैले रसायनों की मौजूदगी का कुप्रभाव कैंसर के बढ़ते मामलों के रूप में सामने आ रहा है। कीट नाशकों और रायायनिक उर्वरकों का बेहतर विकल्प गौ मूत्र और गोबर की खाद तथा जैविक खाद है।

ये कहना है वक्ताओं का। वे कामधेनू विश्वविद्यालय की ओर से गौ-वंश संरक्षण एवं संवर्धनः संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर कृषि विवि के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि है कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में आज भी गौ-वंश का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। खेती-किसानी, जैविक खेती, जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और विभिन्ना बीमारियों के इलाज में गौ-वंश और पंचगव्य के महत्व के संबंध में आज एक बार फिर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इस क्षेत्र में हुए शोध कार्यों को भी लोगों तक पहुंचाने के सक्रिय प्रयास किए जाने चाहिए।

कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय के पंचगव्य अनुसंधान एवं विस्तार केन्द्र और छत्तीसगढ़ शासन के पशुधन विकास विभाग द्वारा किया गया। इस मौके पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने समारोह की अध्यक्षता की। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं गुजरात गौ-सेवा एवं गोचर विकास बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कठेरिया, संसदीय सचिव तोखन साहू और गौ-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापुर नागपुर के निदेशक सुनील मानसिंका विशेष अतिथि के रूप में समारोह में शामिल हुए।

गौ पालन पर दे सकते हैं बेहतर प्रशिक्षण

कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि एक समय था, जब घर-घर में गाय पालन होता था, आज हमें गौवंश के संवर्धन और संरक्षण के विषय पर चर्चा करनी पड़ रही है। हमें नयी पीढ़ी को गौ पालन के विषय में जागरूक करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गौपालन सहित कृषि से जुड़े पंद्रह विषयों पर कौशल उन्नयन के अंतर्गत युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। उन्होंने जैविक खेती को अपनाने की जरुरत बतायी। अग्रवाल ने कहा कि जैविक उत्पादों का मूल्य बाजार में दस गुना तक अधिक है।

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