जैविक खाद

जैविक खेती (Organic farming) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है।जैविक खाद वे सूक्ष्म जीव हैं जो मृदा में पोषक तत्वों को बढ़ा कर उसे उर्वर बनाते हैं। प्रकृति में अनेक जीवाणु और नील हरित शैवाल पाए जाते हैं जो या तो स्वयं या कुछ अन्य जीवों के साथ मिलकर वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करते हैं( वातावरण में मौजूद गैसीय नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करते हैं)। इसी प्रकार, प्रकृति में अनेक कवक और जीवाणु पाए जाते हैं जिनमें मृदा में बंद्ध फॉस्फेट को मुक्त करने की क्षमता होती है। कुछ ऐसे कवक भी होते हैं जो कार्बनिक पदार्थों को तेजी से विघटित करते हैं जिसके फलस्वरूप मृदा को पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। अत: जैविक खादें नाइट्रोजन के यौगिकीकरण, फॉस्फेट की घुलनशीलता और शीघ्र पोषक तत्व मुक्त करके मृदा को उपजाऊ बनाती हैं।

वर्मी कम्पोस्ट से बढ़टी है खेत की उर्वरता

केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव ऊर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है।

जैविक खेती की मुख्य आवश्यकता"केंचुआ खाद"

हम देखते हैं कि बरसात में केंचुए निकलते हैं. ये मल को खाकर मिटटी बनाते हैं. जब हम गाँव में रहते थे थे तो बच्चे बहुत सारे केंचुए पकड़ कर उसे कांटे में लगा कर मत्स्याखेट करते थे, गांवों में केंचुओं को मछली पकड़ने के लिए कांटे में लगा कर चारे के रूप में उपयोग में लिया जाता है, केंचुआ किसानो के लिए मित्र है, इसे"प्रकृति प्रदत्त हलवाहा"भी कहा जाता है.

गाय के गोबर की खाद से धरती का पोषण हो

 यूरिया इत्यादि के कई वर्षों के उपयोग से धरती को कितनी हानि हई है और इस हानि को और अधिक न होने देने के लिये क्या-क्या कदम उठाए जायें। यूरिया का अंधाधुंध आयात भी एक बहुत बड़े षडयंत्र के साथ रची एक साजिश है। विदेशी यूरिया बनाने वाली कम्पनियों ने भारतीय अफसरों और ऊँँचे पदों पर राजनीतिज्ञों को इतना चढ़ाया कि सरकारी फाइलों में अफसर लोग लिखने पर बाध्य हो गये कि यूरिया अगर अधिक मात्रा में आयात और प्रयोग किया जाय तो खेतों की उपज बहुत अघिक बढ़ जायेगी। विशेषज्ञों को यह पता ही था कि धरती में यूरिया का अधिक उपयोग आने वाले समय में धरती को बंजर कर देगा। और यही हुआ भी। जहाँ किसानों ने यूरिया के साथ देसी खाद

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