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क्या किसान इसी देश का नागरिक है ?

क्या किसान इसी देश का नागरिक है ?

हरित क्रांति के बाद देश में खाद्यान  की उपज बड़ी हमने चहुमुखी विकास किया देश में औद्योगिकी करण तेजी से हुआ प्रति व्यक्ति आय बढ़ी लोगो के जीवन स्तर में सुधार हुआ आज गाँव गाँव में बिजली पहुची शिक्षा के क्षेत्र में भी देश ने तरक्की की हम आज तेजी से विकास कर रहे है दुनिया में अपनी पहचान बनाई ख़ुशी की बात है हम पैदल से मैट्रो ट्रेन तक पहुचे, देश नें कंप्यूटर क्रांति में विकास किया सबकुछ  ख़ुशी की बात है लेकिन .............................

सूखे का संकट स्थायी क्यों है

सूखे का संकट स्थायी क्यों है

पिछले कुछ सालों से किसानों को बार-बार सूखे से जूझना पड़ रहा है और अब लगभग यह हर साल बना रहने वाला है। वर्ष 2009 में सबसे बुरी स्थिति रही है। पहले से ही खेती-किसानी बड़े संकट के दौर से गुज़र रही है। कुछ सालों से किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला रुक नहीं रहा है। इस साल भी सूखा ने असर दिखाया है, एक के बाद एक किसान अपनी जान दे रहे हैं।

सूखा यानी पानी की कमी। हमारे यहाँ ही नहीं बल्कि दुनिया में नदियों के किनारे ही बसाहट हुई, बस्तियाँ आबाद हुईं, सभ्यताएँ पनपीं। कला, संस्कृति का विकास हुआ और जीवन उत्तरोत्तर उन्नत हुआ। 

रासायनिक कृषि विनाश का नया आगाज

रासायनिक कृषि विनाश का नया आगाज

रासायनिक कृषि क्या है रासायनिक कृषि का प्रचलन कैसे हुआ 

 रासायनिक उर्वरक क्या हैं उनसे क्या लाभ हैं? क्या हानियाँ है ? इन सबको समझने के लिए इसके इतिहास को हमको जानना पड़ेगा

फ़्रांस के कृषि वैज्ञानिकों ने पता लगाया की पौधों के विकास के लिए मात्र तीन तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटास की अधिक आवश्यकता होती है अत: उनके अनुसार ये तीन तत्व पौधों को दी हैं तो पौधों का अच्छा विकास एवं अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है १८४० में जर्मन वैज्ञानिक लिबिक ने इन तीनों के रासायनिक संगठक एन पी के खाद बनाकर फसलों की बढ़वार के लिए इस रसायन को भूमि पर डालने के लिए प्रोत्साहित किया

कृषि क्षेत्र में गोबर व गोमूत्र का आर्थिक महत्त्व

कृषि क्षेत्र में गोबर व गोमूत्र का आर्थिक महत्त्व

वास्तविकता यह है कि भारतीय प्राचीन ग्रन्थों के रचनाकार स्वयं में महान दूरदर्शी वैज्ञानिक थे। अपने ज्ञान के आधार पर उन्होंने सामान्य व साधारण नियम-कानून एक धार्मिक क्रिया के रूप में समाज के सामने प्रस्तुत किये ताकि मानव समाज पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनके वैज्ञानिक ज्ञान व अनुभवों का लाभ उठते हुए प्राकृतिक पर्यावरण को बिना हानि पहुँचाए एक स्वस्थ जीवन बिता सके।

गाय को भारत में ‘माता’ का स्थान प्राप्त है। भारत के कई प्राचीन ग्रन्थों में अनेक स्थानों पर पढ़ने को मिलता है कि ‘गोबर में लक्ष्मीजी का वास होता है’। यह कथन मात्र ‘शास्त्र’ वचन नहीं है यह एक वैज्ञानिक सत्य है।

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