राजस्थान के एक किसान ने 1 लीटर पानी से तैयार किया पूरा पौधा
राजस्थान क्या एक लीटर पानी में पूरा पौधा तैयार किया जा सकता है? सवाल सुनकर शायद आपको हैरानी होगी लेकिन सीकर जिले के एक किसान ने यह सब संभव कर दिखाया है. किसान सूंडाराम वर्मा द्वारा अपनाया गया तरीका राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश के लिए वरदान साबित हो सकता है.
राजस्थान के लिए उपयोगी
एक लीटर पानी में पूरा पौधा पनपने की बात पर आप शायद भरोसा नहीं करेंगे लेकिन इसे हकीकत में कर दिखाया है सीकर के किसान सूंडाराम वर्मा ने. सूंडाराम ने लम्बे समय तक सोच विचार बाद नया सिद्धांत अपनाया और फिर सफल प्रयोग भी कर दिखाया. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बरसात के बाद जमीन द्वारा सोखा गया पानी दो कारणों से बाहर निकलता है. पहला जमीन पर बने सुराखों से होने वाले वाष्पीकरण से और दूसरा जमीन पर ऊगी खरपतवार से. सूंडाराम के दिमाग में यह बात आई कि अगर सुराख बंद कर दिए जाएं और खरपतवार को नष्ट कर दिया जाए तो जमीन के पानी को पौधों के लिए काम में लिया जा सकता है. इसी सिद्धांत पर काम करते हुए सूंडाराम ने डेढ फीट गहराई में पौधे लगाने शुरु किए और नतीजे चौंकाने वाले आए. सिर्फ एक लीटर पानी से पूरा पौधा पनप गया. सूंडाराम के मुताबिक इस सिद्धांत में बारिश के बाद उगने वाली खरतपवार को जुताई से नष्ट करना और मनसून जाने के दौरान फिर से जुताई करना होता है. बाद में डेढ फीट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें एक लीटर पानी डालकर पौधे लगाए जाते हैं. डेढ साल बाद बड़े हरे भरे पौधे तैयार हो जाएंगे.
देशभर में हुई तारीफ
सूंडाराम के इस सिंद्धांत की देशभर में तारीफ हुई है. इस सिद्धांत से अब तक प्रदेशभर में 50 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं. सीकर के दांता और जोधपुर के सालावास में बड़े क्षेत्र में इसी पद्दति से पौधे लगाए गए हैं. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित कई कृषि विशेषज्ञ भी सूंडाराम के इस सिद्धांत की सराहना कर चुके हैं. इसी सिद्धांत की बदौलत सूंडाराम को इटली में एफएओ की ओर से, स्विटरजरलैंड में वाईपो की ओर से, कनाडा में आइडियाज की ओर से और इंटरनेशनल क्रोप साइंस नई दिल्ली सहित कई संस्थाओं ने अवार्ड भी दिया है.
सीकर जिले के है निवासी
सीकर के सूंडाराम को विजीटिंग प्रोफेसर की उपाधि मिली हुई है और वे कई राज्यों में जाकर कृषि से जुड़ी कांफ्रेंस में हिस्सा ले चुके हैं. सूंडाराम का मानना है कि अगर सरकारी स्तर पर इसे प्रोत्साहन मिले तो बड़े अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं. साथ ही पहाड़ी और नदी नालों में पेड़ लगाने की प्रक्रिया पर भी शोध की जरूरत है