किसान

देश में अन्नदाता का कोई दर्जा है क्या ?

देश में अन्नदाता का कोई दर्जा है क्या

देश में नेता हो या अभिनेता या फिर कोई लेखक सभी के सभी आतंकवाद, प्रदूषण, धार्मिक उन्माद, सामाजिक अंतद्र्वंद और महंगाई जैसी समस्याओं के पीछे अपना ध्यान लगाये बैठे है जो बोलते है या लिखते है उन सभी का विषय in के अतिरिक्त कुछ भी नही होता अभी ताजा हाल सभी को पता है असहिष्णुता के पीछे काफी बहस बनी रही काफी दिनों तक यह मुद्दा चर्चा का विषय भी बना रहा लेकिन इन सभी मुद्दों के मध्य कृषि प्रधान देश में कृषि की समस्याओं का मुद्दा हमेशा गौण रह जाता हैं इस विषय पर कोई बात नही करता नही । नेता जी तो अपने भाषण में केवल चुनावी मुद्दों के लिए ही कृषि और किसान की बात करते हैं उसके बाद अपनी पुस्तक में से वह नाम

जब किसान समृध्द होगा तभी देश समृध्द होगा

किसान

आज विश्व में कैन्सर, ब्लड, प्रेशर, हार्ट अटैक, मानसिक रोग, लीवर, किडनी की बीमारी, त्वचा रोग बढ रहे है। इससे साबित हो चुका है सब बीमारियों के मूल में रासायनिक उर्वरक , रासायनिक दवा और दूषित दवा है। इस लक्ष्य से भारत के किसानों को अपनी खेती (कृषि) को बेहतर करने के लिए अपने ऋषियों और पूर्वजों के द्वारा बताई गई ऋषि-कृषि पध्दति को अपनाना चाहिए। इससे दीर्घ कालीन अधिकतम कृषि उत्पादन होता है।

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