किसान

अमेरिकन केसर की खेती के जाल में फंसता किसान

अमेरिकन केसर की खेती के जाल में फंसता किसान

अमेरिकन केसर लगाकर कमाइए चौथाई एकड़ में 20 लाख रुपये तक..!!

क्या आप सच में एक चौथाई एकड़ में अमेरिकन केसर लगाकर लगभग 20 लाख रुपये कामना चाहते हैं?
परंतु इसका बीज काफी महंगा है। बीज की कीमत 25000 रुपये से लेकर 90000 रुपये प्रतिकिलो तक हो सकती है। एक चौथाई एकड़ में लगभग 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी।

किसान की समृद्धि और विकास मतलब देश की समृद्धि

किसान की समृद्धि और विकास मतलब देश की समृद्धि

भूमि' कृषि प्रधान भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। देश की दो तिहाई से अधिक आबादी आज भी  कृषि, पशुपालन और इससे सम्बंधित व्यवसायों पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली देश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूरी तरह भूमि पर निर्भर है, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार भूमि अधिग्रहण से ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि योग्य निजी और सार्वजनिक जमीन निरन्तर सिकुड़ती जा रही है।

गरीबी, भुखमरी, कुपोषण की जड़

गरीबी, भुखमरी, कुपोषण की जड़

गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, असमान विकास की उपर्युक्त स्थितियां एक दिन में पैदा नहीं हुई हैं। इसकी जड़ स्वायत्तशासी आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थतंत्र के क्रमिक पतन में निहित हैं। आजादी के बाद पूंजी प्रधान विकास रणनीति अपनाने से विकास क्रम में मानव शक्ति का महत्व गौण हो गया। इसके परिणामस्वरूप भारत के अपने शिल्प, लघु व कुटीर उद्योग, कला और पारंपरिक रूप से चलते आ रहे अन्य धंधे धीरे-धीरे खत्म होने लगे। इन धंधों से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश जनता को आय होती थी, लोगों की जरूरतें स्थानीय स्तर पर पूरी होती थी और गरीबों का पेट पलता था। इन धंधों के उजड़ने से गरीबों का सहारा छिनता रहा। इससे धीरे-धीर

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए महिलाओं की सहभागिता जरूरी

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए महिलाओं की सहभागिता जरूरी

कृषि में महिलाओं का योगदान काफी अहम है। कृषि क्षेत्र में कुल श्रम की 60 से 80 फीसदी तक हिस्सेदारी महिलाओं की होती है। फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) के एक अध्ययन से पता चला है कि हिमालय क्षेत्र में प्रति हैक्टेयर प्रति वर्ष एक पुरुष औसतन 1212 घंटे और एक महिला औसतन 3485 घंटे कार्य करती है। इस आंकड़े के माध्यम से ही कृषि में महिलाओं के अहम् योगदान को आंका जा सकता है। महिलाओं की कृषि में यह सहभागिता क्षेत्र विशेष की खेती पर निर्भर करती है फिर भी उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। कृषि कार्यों के साथ ही महिलाएं मछली पालन, कृषि वानिकी और पशु पालन में भी योगदान दे रही हैं।

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