पौध संरक्षण

उत्तर प्रदेश में 59 करोड़ पौधे लगे फिर भी 100 वर्ग किमी घटी हरियाली

उत्तर प्रदेश में 59 करोड़ पौधे लगे फिर भी 100 वर्ग किमी घटी हरियाली
पर्यावरण संरक्षण को लेकर बीते कई वर्षों की तमाम कवायदों व मंथन के बीच नया साल एक कड़वा सच सामने लेकर आया है। प्रदेश का ट्री कवर (वृक्षावरण) 100 वर्ग किलोमीटर घट गया है। यह परिणाम तब है, जब पिछले 7 साल में 59 करोड़ पौधे रोपे गए। 
 

मतलब साफ है कि या तो सिर्फ कागजों में पौधरोपण हुआ या फिर इन्हें लगाकर लावारिस छोड़ दिया गया। जिम्मेदार लोगों ने इनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए।

आधुनिकता की भेंट चढ़े किसानों के मित्र पक्षी

आधुनिकता की भेंट चढ़े किसान मित्र पक्षी

किसानों के मित्र समझे जाने वाले मित्र पक्षियों की कई प्रजातियां काफी समय से दिखाई नहीं दे रहीं हैं। किसान मित्र पक्षियों का धीरे-धीरे गायब होने के पीछे बहुत से कारणों में एक बड़ी वजह किसानों द्वारा कृषि में परंपरागत तकनीक छोड़ देने, मशीनीकरण व कीटनाशकों के व्यापक इस्तेमाल को माना जा रहा है।

देश को बचना है तो जंगल बचाओ

देश को बचना है तो जंगल बचाओ

अगर देश प्राक्रतिक सम्पदा  को बचना है तो जंगल बचाओ I जब तक जंगल है हम जैविक खेती या प्राकृतिक खेती का सपना देश सकते है रासायनिक खेती से छुटकारा पाने का एक विकल्प है जंगल

भारत की जैव विविधता

भारत की जैव विविधता

विश्व के बारह चिन्हित मेगा बायोडाइवर्सिटी केन्द्रों में से भारत एक है। विश्व के 18 चिन्हित बायोलाजिकल हाट स्पाट में से भारत में दो पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाट हैं। देश में 45 हजार से अधिक वानस्पतिक प्रजातियाँ अनुमानित हैं, जो समूची दुनियॉ की पादप प्रजातियों का 7 फीसदी हैं। इन्हें 15 हजार पुष्पीय पौधों सहित कई वर्गिकीय प्रभागों में बांटा जाता है। करीब 64 जिम्नोस्पर्म 2843 ब्रायोफाइट, 1012 टेरिडोफाइट, 1040 लाइकेन, 12480 एल्गी तथा 23 हजार फंजाई की प्रजातियाँ लोवर प्लांट के अंतर्गत् अनुमानित हैं। पुष्पीय पौधों की करीब 4900 प्रजाति भारत देश की स्थानिक हैं। करीब 1500 प्रजातियाँ विभिन्न स्तर के ख