अब कचरे से तैयार होगी जैविक खाद
रासायनिक खाद न मिलने से किसान परेशान रहते हैं। जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि ने इस समस्या का समाधान जैविक खाद के तौर पर निकाला है। आसपास के क्षेत्र को साथ-सुथरा रखने और कचरे को फेंकने की बजाए उससे जैविक खाद बनाई है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह खाद फसल की पैदावार बढ़ाने के साथ इसमें लगने वाली बीमारियों से लड़ने में भी सक्षम है। कृषि विवि का कृषि विज्ञान केन्द्र जबलपुर इन दिनों विवि के कचरे से खाद तैयार कर बाजार में 4 सौ रुपए क्विंटल बेच भी रहा है।
रासायनिक खाद से सस्ती और बेहतर
कृषि वैज्ञानिक डॉ.एसबी अग्रवाल के मुताबिक जैविक खाद तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर की घास, पेड़ की पत्तियां व अन्य कचरे को गोबर को मिलाया गया। फिर एक मेढ़नुमा पट्टी बनाकर इसे गीला कर सड़ाते हैं। इसके बाद केंचुआ और कुछ फफूंद इसमें छोड़ी जाती है। दो से ढाई महीने तक रोजाना पानी देते हैं, जिससे यह अच्छी तरह से सड़ता है। इसे छानने के बाद यह खाद तैयार हो जाती है। यह रासायनिक खाद से सस्ती और उपयोगी है। इसमें कुछ ऐसे फफूंद डाले जाते हैं, जो दलहन और सब्जियों की बीमारियों को मार देते हैं।
4 रुपए किलो बिक रही खाद
विश्वविद्यालय इसे किसान और सब्जियां लगाने वाले लोगों को 4 रूपए प्रति किलो बेच रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ.दिनकर शर्मा के बताया कि हालांकि रासायनिक खाद को एक दम से खेतों से अलग नहीं किया जा सकता, नहीं तो उत्पादन कम और लागत बढ़ेगी। हर साल खेतों से 20 फीसदी रासायनिक खाद को कम कर, इसकी जगह जैविक खाद डाली जाए। 5 साल के भीतर इसकी भरपाई हो जाएगी और फिर जैविक खाद उपयोग कर उत्पादन बढ़ाया और लागत कम की जा सकती है।
विवि का लिया कचरा
अब तक विवि के खेत, गार्डन, मैदान और अन्य जगहों से निकलने वाले जमीनी कचरे को फेंकने में परेशानी होती थी। इसे जलाया या फिर दूर फेंका जाता था। लेकिन जैविक खाद बनाने के बाद यह अब उपयोगी हो गया है। इसे बनाने का तरीका किसानों को भी बताया जा रहा है, ताकि वे खुद इसे तैयार कर सकें।
ये हैं फायदे
- सफाई करने के बाद निकलने वाले कचरे का सही उपयोग।
- रासायनिक खाद से सस्ती और फायदेमंद।
- फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ उनमें लगने वाली बीमारी से भी लड़ती है।
- तैयार करना आसान है।
- किसान भी इसे खेत में तैयार कर सकते हैं।
साभार नई दुनिया