लौकी ,तोरई टिंडा आदि फसलों में आने वाले रोग व उनके उपचार

गर्मियों में बेल वाली सब्जियाँ जैसे लौकी, तरोई, टिंडा आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इनकी खेती करके प्रति इकाई क्षेत्रफल में अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। यदि इन सब्जियों की खेती में कुछ सामान्य रोग और व्याधियों का ध्यान दिया जाए तो प्रति इकाई क्षेत्रफल से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस मौसम में चूंकि गेहूं की फसल पक रही होती है या कट चुकी होती है। ऐसे में रस चूसने वाले कीट व पत्ती खाने वाले कीट अपना आश्रय ढूंढते हैं और ज्यादातर कीट सब्जी के फसलों में लग जाते हैं। इस प्रकार से बेल वाली सब्जियों में भी कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं, जिनमें प्रमुख

चना की खेती

चना एक सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल मानी जाती है. चने के पौधे की हरी पत्तियां साग और हरा सूखा दाना सब्जियां बनाने में प्रयुक्त होता है. चने के दाने से अलग किए हुए छिलके को पशु चाव से खाते हैं. चने की फसल आगामी फसलों के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिर करती है, इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है.

चना की खेती के लिए भूमि की तैयारी

तीन खतरों से बचाएं गेहूं की फसल

सामान्य समय से लगाई गई गेहूं की फसल में इस समय कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप हो सकता है।

इस समय ज्यादातर नम पूर्वा हवा चलती है जिससे फसल में रोग व कीट प्रकोप ज्यादा रहता है। पूर्वा हवा में फसल में नमी बनी रहती है और नमी की वजह से कई तरह के कीट और रोग के पनपने की आदर्श परिस्थियां बन जाती हैं।”

हमारे किसान किसी भी कीट या रोग का प्रकोप होते ही सबसे पहले रासायनिक दवाओं की ओर भागते हैं जबकि वैज्ञानिक तरीके से कीट और रोग नियंत्रण में यह सबसे आखिरी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।”

फरवरी में किसान करें इन लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई

किसान फरवरी में कौन-कौन सी लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई कर सकते हैं. बाजार में आने वाले मौसम और समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके. आइए आपको बताते हैं कि आप किन फसलों की बुवाई अगले महीने कर सकते हैं.

चि‍कनी तोरई

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