गेहूं की जगह अमरूद पैदाकर कमा रहे लाभ

 गेहूं की जगह अमरूद पैदाकर कमा रहे लाभ

गेहूं, धान और सरसों जैसी परंपरागत फसलों को छोड़कर फलों की खेती करना सोईं क्षेत्र के किसानों के लिए लाभ का धंधा साबित हुआ। जिस खेत में 10 हजार का गेहूं या फिर 14 हजार रुपए का धान होता था, उसी खेत में 65 से 70 हजार रुपए के अमरूद पैदा हो रहे हैं। फलों की खेती से हो रहे फायदे को देख किसानों में पारंपरिक खेती छोड़ फलो उद्योन करने की होड़ सी मच गई है। इसका असर किसानों की आर्थिक हालत पर सकरात्मक तो पड़ा ही है साथ ही जिले में उग रहे अमरूद महानगरों में श्योपुर को विशेष पहचान देने का काम

कर रहे हैं।

जीएम बैगन के बाद अब सरसों के विरोध किसान संगठन

जीएम बैगन के बाद अब सरसों के विरोध

 

जेनेटिक माडिफाइड (जीएम) सरसों का मामला जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के पास विचाराधीन है। सूत्रों का कहना है कि इस कमेटी की बैठक दिवाली के बाद कभी भी हो सकती है। जीएम फसलों के खिलाफ सिविल सोसाइटीज ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर अपनी आपत्तियों से उन्हें अवगत कराया है। आधुनिक प्रौद्योगिकी वाली फसल की खामियों पर चिंता जताते हुए जीएम मुक्त भारत अभियान की प्रमुख कविता कुरुंगटि ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि सरकार को जनविरोधी फैसले नहीं लेने चाहिए।

राष्ट्रीय कृषि मेला 26 से 28 तक

कृषि मेला

 26 से 28 दिसंबर तक तीन दिवसीय 'राष्ट्रीय कृषि मेला छत्तीसगढ़ 2015'  का आयोजन रायपुर के नजदीक जोरा गांव में किया जाएगा। राज्य शासन के कृषि विभाग द्वारा भारतीय उद्योग परिसंघ और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित इस मेले के लिए व्यापक तैयारी शुरू हो गई है। कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सोमवार को मेले से जुड़े विभागों और संस्थाओं के अधिकारियों और प्रतिनिधियों की बैठक लेकर मेले की तैयारियों की समीक्षा की। छत्तीसगढ़ राज्य कृषि एवं बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्याम बैस भी बैठक में उपस्थित थे। कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने बैठक में कहा कि यह मेला छत्तीसगढ़ किसानों के लिए खेती-किसानी में न

सूखे के असर को कम करने में जुटी केंद्र सरकार

मौसम विभाग के आंकड़ों के हिसाब से भले ही देश के 300 से अधिक जिले सूखे की चपेट में हों, लेकिन राज्य सरकारों की नजर में केवल 200 जिले ही सूखाग्रस्त हैं। अब तक सात राज्यों ने अपने यहां सूखे की सूचना दी है, जिसके लिए केंद्र सरकार सूखा राहत देने की तैयारी में जुटी है। कुछ राज्यों ने तो केंद्र सरकार के आग्रह पर अपने यहां सूखे का एलान किया है। इनमें उत्तर प्रदेश और ओडिशा प्रमुख हैं।

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