केंद्र सरकार की परंपरागत खेती विकास योजना
रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से दिनों-दिन घटती जमीन की उर्वरा शक्ति को फिर से बढ़ाने, उत्तम किस्म और ज्यादा पैदावार के लिए जिले में जैविक खेती की जाएगी। इसके लिए एक हजार एकड़ जमीन चिह्नित की गई है।
केंद्र सरकार की परंपरागत खेती विकास योजना के अंतर्गत पहले चरण में बुंदेेलखंड केे सभी जिलों समेत प्रदेश के 15 जिलों को इसमें शामिल किया गया है। इसमें जैविक खेती करने वाले किसानों के रजिस्ट्रेशन किए जाएंगे। योजना का मुख्य उद्देश्य रसायनिक खादों पर किसानों की बढ़ती निर्भरता खत्म करना है।
पहले चरण में यह योजना तीन वित्तीय वर्ष के लिए बनाई गई है। इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) का चयन किया जाएगा। एनजीओ के माध्यम से 20 क्लस्टर बनाए जाएंगे। एक क्लस्टर में पचास एकड़ जमीन का चयन किया जाएगा। योजना के तहत एक हजार किसानों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है।
क्लस्टर को जैविक खेती की पूरी जानकारी के साथ-साथ बेहतर क्रियान्वयन की तकनीक और तमाम संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। पूरे प्रदेश में 28,750 एकड़ जमीन का चयन किया गया और 575 क्लस्टर बनाए गए हैं।
प्रस्तावित सुविधाएं
योजना के अंतर्गत एनजीओ के जरिए प्रत्येक क्लस्टर को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराईं जाएंगी। एक क्लस्टर पर कुल 14.35 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। पहले वर्ष में 6,80 लाख रुपये, दूसरे वर्ष में 4.81 लाख रुपये व तीसरे वर्ष में 2.72 लाख रुपये की मदद प्रत्येक क्लस्टर को दी जाएगी।
इन रुपयों का इस्तेमाल किसानों को जैविक खेती के बारे में बताने के लिए होने वाली बैठक, एक्सपोजर विजिट, ट्रेनिंग सत्र, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, मृदा परीक्षण, ऑर्गेनिक खेती व नर्सरी की जानकारी, लिक्विड बायोफर्टीलाइजर, लिक्विड बायो पेस्टीसाइड उपलब्ध कराने, नीम तेल, बर्मी कंपोस्ट और कृषि यंत्र आदि उपलब्ध कराने पर किया जाएगा। इसके साथ ही जैविक खेती से पैदा होने वाले उत्पाद की पैकिंग व ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी अनुदान दिया जाएगा।
अदरक की अनदेखी
तालबेहट ब्लॉक में अदरक की अच्छी पैदावार को देखते हुए खाद्य प्रसंस्करण योजना में इसे शामिल किया गया था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली से अदरक की कोई प्रसंस्करण इकाई स्थापित नहीं हो पाई। कृषि विभाग ने योजना के तहत जैविक खेती के लिए बिरधा व जखौरा ब्लॉक का चयन किया है, जबकि जानकारों का कहना है कि इस योजना में तालबेहट ब्लॉक के अदरक किसानों को शामिल करने से योजना का सही लाभ किसानों तक पहुंचाया जा सकता है।
पूरे विश्व में केवल पांच देशों में ही अदरक का उत्पादन होता है, जबकि इसकी खपत डेढ़ सौ से ज्यादा देशों में होती है। जैविक तरीके से पैदा होने वाले अदरक का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अच्छा है। इसलिए जैविक खेती योजना के तहत तालबेहट का चयन जिले के लिए लाभदायक हो सकता था, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
योजना के लिए चयनित जिले
परंपरागत खेती विकास योजना के तहत ललितपुर के अलावा झांसी, महोबा, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, मिर्जापुर, कन्नौज, मुुरादाबाद, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गोरखपुर, पीलीभीत और अलीगढ़ शामिल हैं। कई जिलों में सौ क्लस्टर बनाए गए हैं, जहां ढाई हजार एकड़ जमीन का चयन किया गया है।
यह है जैविक खेती
पूर्ण रूप से जैविक खादों पर आधारित फसल पैदा करना जैविक खेती कहलाता है। दुनिया के लिए भले ही यह नई तकनीक हो, लेकिन देश में परंपरागत रूप से जैविक खाद पर आधारित खेती होती आई है। जैविक खाद का इस्तेमाल करना देश में परंपरागत रूप से होता रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में रसायनिक खादों पर निर्भरता बढ़ने के बाद से जैविक खाद का इस्तेमाल नगण्य हो गया है।