प्याज

प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। प्याज़ भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इत्यादि। प्याज़ की फ़सल कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है। विश्व में प्याज 1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाई जाती हैं, जिससे 25,387 हजार मी. टन उत्पादन होता है। भारत में इसे कुल 287 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाये जाने पर 2450 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा गुजरात आदि प्रदेशों में अधिकता से उगाया जाता है। यह शल्ककंदीय सब्जी है, जिसके कन्द सब्जी के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कन्द तीखा होता है। यह तीखापन एक वाष्पशील तेल एलाइल प्रोपाइल डाय सल्फाइड कारण होता है। प्याज का उपयोग सब्जी, मसाले, सलाद तथा अचार तैयार करने के लिए किया जाता है। कन्द में आयरन, कैल्शियम, तथा विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। कन्द तीखा, तेज, बलवध्र्ाक, कामोत्तेजक, स्वादवर्धक, क्षुधावर्धक तथा महिलाओं में रक्त वर्धक होता है। पित्तरोग, शरीर दर्द, फोड़ा, खूनी बवासीर, तिल्ली रोग, रतौंधी, नेत्रदाह, मलेरिया, कान दर्द तथा पुल्टिस के रूप में लाभदायक है। अनिद्रा निवारक (बच्चों में), फिट (चक्कर) में सुंघाने के लिए उपयोगी। कीड़ों के काटने से उत्पन्न जलन को शान्त करता है (आयुर्वेद)। प्याज, एक तना जो कि छोटी-सी तस्तरी के रूप में होता है, अत्यन्त ही मुलायम शाखाओं वाली फसल है, जो कि पोले तथा गूदेदार होते हैं। रोपण के 2) से 3 माह पश्चात् तैयार हो जाती है। इसकी फसल अवधि 120-130 दिन है। औसत उपज 300 से 375 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है। फसल मार्च-अप्रेल में तैयार हो जाती है।

कैसे करें प्याज की नर्सरी

प्याज एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है जिसमें विटामिन सी, फास्फोरस आदि पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. हमारे देश में प्याज की खेती मुख्य रुप से रबी की फसल के रुप में की जाती है. अनेक राज्यों प्याज की खेती खरीफ में भी की जाती है. प्याज का उपयोग प्रतिदिन सब्जी व मसाले के रुप में किया जाता है. इसके अतिरिक्त यह सलाद, चटनी एवं अचार आदि के रुप में भी प्रयोग किया जाता है. गर्मी में लू लग जाने तथा गुर्दे की बीमारी में भी प्याज लाभदायक रहता है.

जलवायु एवं भूमि

उत्‍तर भारत में खरीफ मौसम में प्‍याज की खेती

उत्‍तरी भारत में प्‍याज रबी की फसल है यहां प्‍याज का भंडारण अक्‍टूबर माह के बाद तक करना सम्‍भव नही है क्‍योकि कंद अंकुरित हो जाते हैं।

इस अवधि‍(अक्‍टूबर से अप्रैल) में उत्‍तर भारत में प्‍याज की उपलब्‍ध्‍ता कम होने तथा परिवहन खर्चे के कारण दाम बढ जाते हैं। इसके समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने उत्‍तर भारत के मैदानो में खरीफ में भी प्‍याज की खेती के लिए एन-53(N-53) तथा एग्रीफाउंड डार्क रैड नामक प्‍याज की किस्‍मों का विकास किया है।

प्‍याज की किस्‍म : एन-53(आई.ए.आर.आई.); एग्रीफाउंड डार्क रैड (एन.एच.आर.डी.एफ.)

प्याज की उन्नत खेती

कन्द वर्गीय सब्जीयों में व्यापारिक दृषिटकोण से प्याज का बहुत अधिक महत्व है। भारतीय आहार में प्याज का बहुत अधिक उपयोग होता है। वर्तमान फास्ट-फूड के जमाने में इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। सब्जीयाें के गाढ़ेपन व स्वाद बढ़ाने के अतिरि ä प्याज से कुछ औषघीय तत्व भी शरीर को मिलते हैं, जिसके कारण हृदय रोग, खेन में थôा बनना व कोलेस्ट्राल आदि विकारों पर नियंत्रण रखने मेंं मदद होती है। इसी प्रकार मसाले, केचप, साँस आदि पदार्थाों में भी प्याज का उपयोग किया जाता है। निर्जलिकृत प्याज की चकितयाँ व पावडर की माँग विदेशें में अधिक है। सफेद प्याज को निर्जलिकृत पर चकितयाँ व पावडर बनाने के कारखाने महाराष्ट्र व