खराब मौसम के चलते धान की फसल पर तना छेदक का प्रकोप
मौसम में बार-बार आ रहे बदलाव का असर पर अब धान की फसल पर भी देखने को मिल रहा है। गर्मी के मौसम के शुरूआती दिनों में हुई बारिश से जहां धान की फसल को फायदा हुआ। वहीं बार-बार हुई बारिश और आसमान में बादल के छाए होने के कारण धान की फसल पर तना छेदक रोक का प्रकोप बढ़ गया है।
क्षेत्र के किसानों द्वारा गर्मी के मौसम में भी धान की ही फसल प्रमुखता से लगाई जाती है। इस बार भी किसानों ने धान की फसल अपने खेतों में लगाई है। खराब मौसम के कारण इस बार किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आसमान में बादल के छाए रहने और असमय होने वाली बारिश के कारण धान के पौधे में तना छेदक रोक तेजी से बढ़ रहा है। तना छेदक रोग के रोकथान के किसानों द्वारा किए जा रहे प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं, जिसके कारण किसान परेशान नजर आ रहे हैं। कृषक राधेश कुमार मंडावी ने बताया कि बदली और बारिश के कारण धान के पौधों में तना छेदक रोग हो गया है। तना छेदक रोग के कारण धान के पौधे में लगी बालियां सुखती जा रही है और जिन पौधों में बालियां नहीं आई हैं, उनमें बालियां भी नहीं आ रही है। कृषक इंद्रभान कोड़ोपी ने बताया कि खराब मौसम के कारण धान के पौधों को पर्याप्त धूप नहीं मिलने के कारण तना छेदक रोग होता है। इसके नियंत्रण के लिए दवाई डाली गई थी, लेकिन बार-बार बारिश होने के कारण दवा बेअसर हो जाती है। कृषक रमेसिंह मंडावी ने बताया कि उन्होंने तीन एकड़ में धान की फसल लगाई है। अधिकांश फसल में तना छेदक बीमारी फैल गई है। उन्होंने बताया कि इस रोग में धान के पौधे के तने में गांठ के पास अंदरूनी रूप से कीड़ा लग जाता है। कीड़ा पौधे को अंदर ही अंदर कमजोर बना देता है, जिससे धान की बालियों में दूध नहीं भरता है और धान की बालियां खोखली हो जाती हैं। जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
बढ़ जाती है लागत
धान के फसल में तना छेदक रोग होने के कारण किसानों को फसल में दवाई का छिड़काव करना पड़ता है। किसानों का कहना है कि बार-बार दवाई के छिड़काव के कारण अधिक राशि खर्च होती है, जिससे उत्पादन लगात बढ़ जाती है। उत्पादन लागत बढ़ने से किसानों को फायदा भी कम हो जाता है।