औषधि

औषधि वह पदार्थ है जिन का निश्चित मात्रा शरीर मै निश्चित प्रकार का असर दिखाता है। इनका प्रयोजन चिकित्सा में होता है। किसी भी पदार्थ को औषधि के रुप मै प्रयोजन करके के लिए उस पदार्थ का गुण, मात्रा अनुसार का व्यवहार, शरीर पर विभिन्न मात्राऔं में होने वाला प्रभाव आदि का जानकारी अपरिहार्य है।

औषधियाँ रोगों के इलाज में काम आती हैं। प्रारंभ में औषधियाँ पेड़-पौधों, जीव जंतुओं से प्राप्त की जाती थीं, लेकिन जैसे-जैसे रसायन विज्ञान का विस्तार होता गया, नए-नए तत्वों की खोज हुई तथा उनसे नई-नई औषधियाँ कृत्रिम विधि से तैयार की गईं।
ऐसे पौधे जिनके किसी भी भाग से दवाएँ बनाई जाती हैं औषधीय पौधे कहलाते हैं। सर्पगंधा, तुलसी, नीम आदि इसी प्रकार के पौधे हैं।

मेंथा में आने वाले रोग व् कीट उनकी रोकथाम

बढ़ते तापमान में मेंथा की खेती को सिंचाई की जरूरत ज्यादा होती है.  किसानों को समय पर सिंचाई करनी चाहिए, जहां दिन में तेज धूप हो, सुझाव यही है कि किसान शाम के समय खेतों में पानी लगाएं.फसल प्रबंधन के तहत कीट और रोग से भी फसल को बचाना है. ऐसा इसलिए क्योंकि मेंथा में कई तरह के कीट और रोग फसल को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे किसान को कम उत्पादन के साथ नुकसान हो सकता है. आज हम आपको मेंथा (menthe farming) की खेती में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में बताने जा रहे हैं.

माहू

शंखपुष्पी की खेती

पुष्पभेद से शंखपुष्पी की तीन जातियाँ बताई गई हैं। श्वेत, रक्त, नील पुष्पी। इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है।मासिक धर्म मे सहायक है। शंखपुष्पी के क्षुप प्रसरणशील, छोटे-छोटे घास के समान होते हैं। इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं। जड़ उंगली जैसी मोटी 1-1 इंच लंबी होती है। सिरे पर चौड़ी व नीचे सकरी होती है। अंदर की छाल और लकड़ी के बीच से दूध जैसा रस निकलता है, जिसकी गंध ताजे तेल जैसी दाहक व चरपरी होती है। तना और शाखाएँ सुतली के समान पतली सफेद रोमों से भरी होती हैं। पत्तियाँ 1 से 4 सेण्

अग्निमंथ की उन्नत खेती

बड़ी अरणी क्या है? 

बड़ी अरणी का पेड़ पहाड़ों पर पाया जाता है. बड़ी अरणी और छोटी अरणी में मुख्य अंतर यह है कि बड़ी अरणी का तना काफी बड़ा और मजबूत होता है. इसकी शाखाएं भी विपरीत दिशाओं में दूर तक फैली होती हैं जबकि छोटी अरणी का पौधा आकार में छोटा होता है. ग्रंथों के अनुसार बड़ी अरणी की तासीर गर्म होती है और अग्नि की तरह इसमें रोगों को तुरंत खत्म करने की क्षमता होती है. इसीलिए इसे संस्कृत में अग्निमंथ नाम दिया गया है. 

 

गुड़मार की खेती

विश्‍व में पाये जाने वाले अनेकों बहुमूल्‍य औषधीय पौधों में गुड़मार एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है। यह एस्‍कलपिडेसी कुल का सदस्‍य है। इसका वानस्‍पतिक नाम जिमनिमा सिलवेस्‍ट्री है। गुड़मार के पत्‍ते तथा जड़ औषधीय रूप में उपयोग किये जाते हैं।गुड़मार या मेषश्रृंगी एक बहुत उपयोगी जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में इसके पत्तों और जड़ को औषधीय रूप से प्रयोग किया जाता है। जैसा की नाम से ही पता चलता है, यह जड़ी-बूटी गुड़ अर्थात मीठेपन को नष्ट करती है। इसका सेवन मधुमेह में बढ़ी हुई रक्तशर्करा को कम करता है। यह मधुमेह, जिसे डायबिटीज भी कहा जाता है, के उपचार में प्रभावी है। गुड़मार के पत्ते स्वाद में कुछ नमकीन-कड़वे होते ह

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