जैविक खेती और भारत

 जैविक खेती और भारत

जैविक खेती समग्र रूप से एक उत्‍पादन प्रबंध प्रणाली है जो जैविक विविधता , पोषक जैविक चक्र और मिट्टी से जुड़ी जैविकीय और सूक्ष्‍म जीव क्रिया को बढ़ावा देती है और उसे चुस्‍त -दुरूस्‍त रखती है। इसे आमतौर से कृषि की एक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें रासायनिक खादों/कीटनाशकों का इस्‍तेमाल नहीं किया जाता और यह मुख्‍य रूप से गोबर की खाद, पत्‍तियों की खाद, खली के इस्‍तेमाल और प्राकृतिक जैविक कीट नियंत्रण और पौधों के संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित होती है।

 

बढ़ते क्षेत्र

भारत में जैविक खेती की तरफ ध्‍यान 2004-05 में गया, जब जैविक खेती पर राष्‍ट्रीय परियोजना (एनपीओएफ) की शुरूआत की गई। 2004-05 में जैविक खेती के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र 42,000 हेक्‍टेयर था। मार्च 2010 तक यह बढ़कर 10 लाख 80 हजार हेक्‍टेयर हो गया। इसके अतिरिक्‍त 34 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में जंगलों से फसल एकत्र की जाती है। इस प्रकार मार्च 2010 तक जैविक प्रमाणीकरण का कुल क्षेत्र 44 लाख 80 लाख हेक्‍टेयर था जिसमें पिछले 6 वर्ष में 25 गुना वृद्धि हुई है। जोती हुई जैविक भूमि में 7.56 लाख हेक्‍टेयर प्रमाणीकृत है,जबकि 3.2 लाख हेक्‍टेयर रूपान्‍तरण की प्रक्रिया में है।

 

जिन राज्‍यों में अच्‍छे तरीके से जैविक खेती की जा रही है, उनमें मध्‍य प्रदेश में 4.40 हेक्‍टेयर, महाराष्‍ट्र में 1.50 लाख हेक्‍टेयर और उड़ीसा में 95,000 हेक्‍टेयर जमीन पर जैविक खेती हो रही है। फसलों में कपास एकमात्र ऐसी फसल है जिसकी 40 प्रतिशत क्षेत्र में खेती की जाती है। इसके बाद चावल, दाल, तिलहन और मसालों की खेती होती है। भारत दुनिया में कपास का सबसे बड़ा जैविक उत्‍पादक है, और दुनिया में जैविक कपास के कुल उत्‍पादन का 50 प्रतिशत भारत में होता है।

 

920 उत्‍पादक समूहों के अंतर्गत आने वाले करीब 6 लाख किसान 56-40 करोड़ रूपये मूल्‍य के 18 लाख टन विभिन्‍न जैविक उत्‍पाद पैदा करते हैं। 18 लाख टन जैविक उत्‍पादों में से 561 करोड़ रूपये मूल्‍य के 54000 टन जैविक उत्‍पादों का निर्यात किया गया। पिछले कई वर्षों में जैविक उत्‍पादों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। 2006-07 में 301 करोड़ रूपये मूल्‍य का निर्यात हुआ, जो 2009-10 में बढ़कर 525.5 करोड़ हो गया।

 

जैविक खेती अपनाने वाले राज्‍य

 

नौ राज्‍यों ने जैविक खेती नीति का मसौदा तैयार किया है। इनमें से चार राज्‍यों, उत्‍तराखंड, नगालैंड, सिक्किम और मिजोरम ने 100 फीसदी जैविक खेती करने का अपना इरादा घोषित कर दिया है। सिक्किम पहले से ही अपनी खेती योग्‍य 40 प्रतिशत इलाके में जैविक खेती कर रहा है और उसने 2015 तक समूचे राज्‍य में जैविक खेती करने का लक्ष्‍य रखा है। अन्‍य राज्यों ने भी जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजनाएं बनाई हैं। हाल में बिहार ने वर्ष 2010-11 से 2014-15 की अवधि में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 256 करोड़ रूपये की एक योजना को मंजूरी दी है। यह योजना शत-प्रतिशत राज्‍य की योजना है और इसका पूरा खर्च राज्‍य सरकार उठाएगी। केन्‍द्र सरकार की सहायता वाली योजना इस योजना के अतिरिक्‍त होगी।

 

जैविक खेती को बढ़ावा

 

जैविक खेती को, जैविक खेती की राष्‍ट्रीय परियोजना (एनपीओएफ), राष्‍ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) और राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

नियामक तंत्र

 

गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए देश को निर्यात, आयात और घरेलू बाजार के लिए प्रमाणीकरण प्रक्रिया में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रशंसा मिली है।

सहायता

अन्‍य चीजों के साथ-साथ एनपीओएफ के अंतर्गत दी जाने वाली महत्‍वपूर्ण सहायता में वनस्‍पति खाद वाले पौधे और जैविक खाद, जैविक खाद का गुणवत्‍ता नियंत्रण, प्रशिक्षण के जरिये मानव संसाधन विकास, जैविकीय मिट्टी का आकलन और जागरूकता पैदा करना शामिल है।

 

राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्‍ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत जैविक खेती अपनाने के लिए और प्रमाणीकरण के लिए राज्‍यों को वित्‍तीय सहायता देना है।

हांलाकि खाद्यान्‍न की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पैदावार को अधिकतम करना समीक्षात्‍मक है लेकिन कृषि उत्‍पादकता को बनाए रखना होगा। रासायनिक खादों के अंधाधुध इस्‍तेमाल और बची हुई फसलों को हटाने के कारण मिट्टी खराब हो रही है। इन समस्‍याओं को हल करने के लिए सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। पत्तियों की खाद, जैविकीय कीट नियंत्रण और घासफूस के प्रबंधन जैसे खेती के परम्‍परागत तरीकों के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया है।

*कृषि मंत्रालय से प्राप्‍त जानकारी

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