रबी फसलों की बुवाई हेतु उन्नत कृषि यंत्र

रबी फसलों की बुवाई हेतु उन्नत कृषि यंत्र
ट्रैक्टर चालित जीरो टिल ड्रिल
इस यंत्र की बनावट ठीक अन्य सीड ड्रिल्स की ही तरह होती है, परन्तु अन्य सीड ड्रिल्स के मुकाबले इसकी कूड़ बनाने वाली फार बहुत पतले एवं छुरी की तरह होते हैं। इस मशीन का उपयोग खासतौर पर उन खेतों में किया जाता है जहां धान की फसल काटने के बाद नमी की अधिकता के कारण जुताई (बखर) नहीं की जा सकती परन्तु जल्दी बुवाई करना बाध्यता रहती है। इस यंत्र से धान के खेत में गेहूं का अन्य फसल की बुवाई बिना किसी जुताई जोखिम के की जा सकती है। इसे एक साधारण सीड ड्रिल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

ट्रैक्टर चालित रोटो टिल ड्रिल
इस यंत्र से खेत में जुताई एवं बुवाई का कार्य एक साथ किया जाता है। यंत्र के अगले हिस्से में रोटावेटर तथा पिछले हिस्से में बीज बुवाई मशीन लगी होती है। इस यंत्र का उद्देश्य कम से कम समय में कम लागत के साथ कार्य पूर्ण करना है। इस यंत्र को चलाने के लिये कम से कम 55-60 हा.पा.के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। खेत में अच्छी बतर होना आवश्यक है। इस यंत्र में रोटावेटर व बुवाई मशीन की गहराई अलग अलग सेट करने का प्रावधान है। अतएव इसमें दोनों यंत्रों की गहराई को लेकर कोई परेशानी नहीं आती।

ट्रैक्टर चालित रेज्ड बेड सीड ड्रिल
यह मशीन मिट्टी उठा कर बुवाई करने की तकनीक पर आधारित है। इसमें मिट्टी उठाने के लिये रिजर तथा बेड बनाने के लिये बेड शेपर लगे होते हैं। रेजर बनने वाली नाली (बरे) की वांछित चौड़ाई घटाई-बढ़ाई जा सकती है। मशीन के अगले भाग में लगे रेजर मिट्टी उठाने के लिये का कार्य करते हैं, फरो ओपनर इस उठी हुई मिट्टी पर बुवाई करता हैं, तथा बेड शेपर उस उठी हुई मिट्टी को रूप देते हैं। इस तकनीक से बुवाई करने से फसल वर्षा के पानी का भरपूर उपयोग करती है तथा सिंचाई की स्थिति में काफी कम पानी लगता है तथा कार्य शीघ्र पूर्ण हो जाता है। इस पद्धति से बुवाई करने से 4 एकड़ की सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी सें 6 से 8 एकड़ की सिंचाई की जा सकती है।।

ट्रैक्टर चालित इनक्लाइन्ड प्लेट प्लान्टर
ऐसी फसलों जिनमें बीज दर बहुत ही कम या बीज का आकार बड़ा रहता है। साधारण बीज बोने वाली मशीन से इनकी बुआई तरीके से नहीं हो पाती है। इनके बोने के लिये इनक्लाइन्ड प्लेट प्लांटर का उपयोग करना ही हितकर होता है। इसमें सीड ड्रिल की भांति लोहे का एक फ्रेम होता हैं जिस पर कि 6 सीड बॉक्स मय फरो ओपनर के लगे होते हैं। प्रत्येक बॉक्स में एक बीज गिराने वाली प्लेट (डिस्क) लगी होती है। यह डिस्क फरो ओपनर में एक-एक बीज गिराती चलती है जो कि कूड़ में एक निश्चित दूरी पर गिरता है। अलग-अलग प्रकार के बीजों के लिये अलग डिस्क लगाई जाती है अर्थात मक्का, मूंगफली, सरसों, अरहर, सोयाबीन, चना सभी फसलों के लिये अलग-अलग डिस्क का उपयोग होता है। इस यंत्र की डिस्क की बनावट इस तरह की गई है कि किसी भी फसल का बीज उसकी निर्धारित दर के अनुसार ही गिरेगा।

ट्रैक्टर चालित न्यूमेटिक प्लान्टर
इस यंत्र की बनावट सीड ड्रिल मशीन की तरह ही होती है। इसमें एक सेन्ट्रीफ्यूगल ब्लोअर लगा होता है जो कि ट्रैक्टर की पीटीओ द्वारा चलाया जाता है। यह ब्लोअर अत्याधिक हवा के प्रेशर द्वारा बीज को उठा कर इसके मीटरिंग मेकेनिजम में भेजता है जहां से बीज पूर्व निर्धारित दूरी पर फरो ओपनर से होता हुआ कूड़ में गिरता है। फरो ओपनर्स की दूरी कम या ज्यादा की जा सकती है। बीज दर आप अपनी वांछित मात्रा के अनुसार वायु नियंत्रण कर एवं मीटरिंग डिवाईस द्वारा बदल सकते हैं। इस यंत्र का उपयोग सभी प्रकार के बीजों की बुवाई के लिये हो सकता है। यह मशीन अत्यंत महंगी होने के कारण इसका उपयोग अधिकांशत: बीज उत्पादक ही करते हैं।

ट्रैक्टर चालित सेमी आटोमेटिक आलू प्लान्टर
किसानों के लिये आलू की बुवाई एक अत्यंत खर्च वाला कार्य होता है परन्तु आलू बोने वाले यंत्र की सहायता ये काम कम खर्च में व समय समय में बेहतर तरीके किया जा सकता है। इस यंत्र की बनावट इस प्रकार होती है – इसमें एक लोहे का एक फ्रेम होता है जिस पर फरो ओपनर लगे होते हैं। फ्रेम पर एक सीड बॉक्स (आलू भरने का हापर) लगा होता है तथा कतारों की संख्यानुसार 2, 3 या 4 घूमने वाली डिस्क लगी होती हैं जिनमे आलू के साईज के होल कटे होते हैं । यह डिस्क चेन द्वारा ग्राउन्ड व्हील की सहायता से घूमती हैं जो कि फ्रेम पर लगा होता हैं । सभी डिस्क के पीछे एक-एक सीट लगी होती है जिस पर कि डिस्क में आलू डालने वाले व्यक्ति बैठते हैं। फ्रेम के पिछले भाग में फरो ओपनर के पीछे मिट्टी चढ़ाने वाले रिजर लगे होते हैं, जो कि कूड़ में आलू गिरने के बाद उसे फौरन मिट्टी से ढंक देते हैं तथा उस पर मिट्टी चढ़ा कर मेढ़ बना देते है। इस यंत्र से आलू की बुवाई करने के लिये हापर में आलू भर लिये जाते हैं (यह हापर पीछे की तरफ से खुला होता है)। प्रत्येक सीट पर एक-एक व्यक्ति बैठा दिया जाता है जो हापर में से आलू उठा कर डिस्क के होल में डालने का कार्य करते हैं। अब ट्रैक्टर खेत में ले जा कर बुवाई की जाती है। इस मशीन से एक घंटे में लगभग एक एकड़ में आलू की बुवाई की जा सकती है।

ट्रैक्टर चालित आटोमेटिक आलू प्लान्टर
इस यंत्र के द्वारा बिना किसी एक्सट्रा व्यक्ति को लगाये आटोमेटिक तरीके से आलू की बुवाई की जा सकती है। इस यंत्र का मेकेनिज़म पूरी तरह आटोमेटिक होता है। इस मशीन से भी आलू बुवाई में वे सभी कार्य होते हैं जो सेमी आटोमेटिक में होते हैं परन्तु इसमें आलू की मीटरिंग अपने आप यानी आटोमेटिक होती है। यह यंत्र सेमी आटोमेटिक की तुलना में काफी मंहगा तो होता ही है साथ ही इसका प्रचालन, समायोजन, रखरखाव केवल ट्रेन्ड आपरेटर ही कर सकता है।

ट्रैक्टर चालित सेमी आटोमेटिक सब्जी ट्रान्सप्लान्टर
यह मशीन उन किसानों के लिये बहुत उपयोगी है जो वृहद पैमाने पर सब्जी की खेती करते हैं । उन्हें सब्जी फसलों की रोपाई के लिये बड़े पैमाने पर मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ती है जिस पर काफी लागत आती है। इस यंत्र को टै्रक्टर से जोड़ कर इसकी सभी ट्रे पर नर्सरी से निकाली तैयार पौध रख ली जाती है। प्रत्येक कतार के लिये सीट पर बैठा व्यक्ति ट्रे से एक-एक रोप उठा कर घूमने वाले फ्लैप व्हील में रखता चलता है जो वहां से कूड़ मे पहुंच कर काम्पैक्शन व्हील द्वारा सीधा खड़ा कर दिया जाता है। इस तरह रोपाई कार्य पूर्ण होता है। कतारों से कतारों की दूरी एवं पौधे से पौधे की दूरी एडजस्टेबल होती है। इस यंत्र से रोपाई करने के तत्काल बाद हल्की सिंचाई करना आवश्यक है ।
16ट्रैक्टर चालित सेमी आटोमेटिक गन्ना प्लान्टर
यह मशीन उन किसानों के लिये बहुत उपयोगी है जो वृहद पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं। यह मशीन गन्ने के टुकड़े करने के साथ ही उन्हें कूड़ में डाल कर उस पर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करता है। इसमें गन्ने के साथ फर्टिलाईजर डालने का तथा बीज को ट्रीट करने के लिये दवा डालने का भी प्रावधान होता है। इस यंत्र के गन्ना रखने वाले बॉक्सेस में बोया जाने वाला गन्ना छील कर रख दिया जाता है, फर्टिलाईजर बॉक्स में फर्टिलाईजर कर उसकी दर निर्धारित कर ली जाती है, बीज को ट्रीट करने के लिये दवा वाले बॉक्स में दवा भर कर उसकी दर भी निर्धारित कर ली जाती है। अब मशीन में जितनी भी कतारों का प्रावधन हो उतने ही व्यक्ति मशीन की सीटों पर बैठा दिये जाते हैं, यह व्यक्ति हापर से निकाल कर मशीन में गन्ना डालते रहते हैं जो कि मशीन में लगे कटर द्वारा कट-कट कर फरोओपनर द्वारा बनाये जा रहे कूड़ों में गिरता हैं, साथ ही गिरने वाला बीज दवा द्वारा उपचारित होता चलता है । बीज के साथ ही कूड़ में फर्टिलाईजर भी गिरता है। यंत्र के निचले भाग मे कूड़ को ढंकने के लिये एवं मिट्टी चढ़ाने के लिये रिजर लगे होते हैं जो मिट्टी चढ़ाने का कार्य करते हैं।

ट्रैक्टर चालित लहसुन प्लान्टर
पारंपरिक तरीके से लहसुन की बुवाई करने में किसानों को बहुत अधिक लागत उठानी पड़ती है परन्तु इस यंत्र की बनावट इस तरह है – इसमें अन्य सीड ड्रिल्स की भांति लोहे का फ्रेम होता है जिस पर कि फरोओपनर्स लगे होते हैं, इसमें दो बॉक्स लगे होते हैं, एक बीज के लिये तथा दूसरा खाद के लिये। इन बॉक्स में स्टार व्हील टाईप मीटरिंग मेकेनिजम लगे होते हैं जिनसे कि फरोओपनर्स में बीज व खाद गिरतें हैं। इन स्टार व्हील मेकेनिज़म को ड्राईव, ग्राउन्ड व्हील से मिलती है। बीज व खाद की दर निर्धारित होती है। कतार से कतार की दूरी भी निर्धारित की जा सकती है।