कसतूरीभिंडी

कस्तूरी हिमालय में पाये जाने वाले एक विशेष प्रकार के हिरण की नाभि से प्राप्त होती है। कस्तूरी का प्रयोग आदि काल से बतौर औषधि और इत्रा में होता रहा है। सारी दुनिया इसकी खुशबू की दिवानी है। इस दिवानेपन के कारण जब इस कस्तूरी की प्राप्ति के लिए इन हिरणों का बड़े पैमाने पर शिकार आरंभ हुआ तो उनकी संख्या घटने लगी। आज ये विलुप्तता के कगार पर खड़े हैं। अब इनसे कस्तूरी के एकत्रण पर प्रतिबंध लग गया है। यद्यपि इन हिरणों के संरक्षण और संवर्धन के प्रयास किये जा रहे हैं पर ये उतने सफल नहीं है। जब भी इस तरह मूल औषधीयों की कमी पड़ती हैं तो बाजार रूकता नहीं है और जल्दी ही इनके विकल्पों की खोज आरंभ हो जाती है। यूं तो वैज्ञानिकों और उद्यमियों ने बहुत से पौधों में कस्तूरी की गंध प्राप्त की पर व्यवसायिक दृष्टि से कस्तूरी भिण्डी का नाम ही सामने आया। भिण्डी को हम सब्जी की फसल के रूप में अच्छे से जानते हैं। भारतीय वनों में कई प्रकार की जंगली भिण्डियाँ उगती हैं। जिनमें से सभी का प्रयोग औषधि और अन्य व्यवसायिक कार्यों में होता है। उदाहरण के लिए वन भिण्डी का उपयोग गुड बनाते समय अशुद्धियों को साफ करते समय होता है। बहुत तरह की भिण्डियां ग्रामीण और वनीय क्षेत्रो में साग के रूप में खाई जाती है जबकि फलियों का प्रयोग कच्चे रूप में ही नाश्ते के रूप में होता है। भारतीय वनों में कस्तूरी भिण्डी भी जंगली प्रजाति के रूप में पाई जाती है। है के स्थान पर थी का प्रयोग ज्यादा उचित जान पड़ता है। अत्यधिक दोहन के कारण अब वनों में इसे आसानी से प्राप्त कर पाना संभव नहीं जान पड़ता है। कस्तूरी भिण्डी की बढ़ती मांग और वनों में इसकी घटतीउपलब्धता ने  विशेषज्ञों को इसे एक उपयोगी औषधि एवं सगंध फसल के रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। इस पर व्यापक अनुसंधान किये गये और इसकी कृषि की उन्नत तकनीके विकसित की गई। आमतौर पर कस्तूरी भिण्डी के बीजों का प्रयोग कस्तूरी के वैकल्पिक श्रोत के रूप में किया जाता है। कस्तूरी भिण्डी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एम्ब्रेट के नाम से जाना जाता है। भारतीय बाजार में कस्तूरी (मुश्क) के आधार पर मुश्क दाना या कस्तूरी भिण्डी कहा जाता है। देश के अलग-अलगहिस्सों में इसे स्थानीय नामों से जाना जाता है। आमतौर पर इसके बीजों का प्रयोग इत्र, सौन्दर्य प्रसाधन आदि उद्योगों में होता है। इसे सुगंध के लिए चाय उत्पादों में तम्बाकू उत्पादों  और विभिन्न तरह की औषधियों में भी डाला जाता है। बीजों में जितनी अधिक सुगंध होती है उतनी ही ज्यादा उसमें एम्ब्रेट आईल की मात्रा होती है। अधिक एम्ब्रेट आईल अर्थात अधिक मूल्य की प्राप्ति। कस्तूरी भिण्डी पर सफलता पूर्वक किये गये प्रयोगों से उत्साहित होकर विशेषज्ञों द्वारा किसानों के सामने इसे व्यवसायिक फसल के रूप में रखा गया। कस्तूरी भिण्डी की फसल को छोटे और मध्यम किसानों के लिए उपयुक्त माना जाता है। प्राकृतिक परिस्थितियों में कस्तूरी भिण्डी बिना किसी देख भाल के विपरीत वातावरणीय परिस्थितियों में भी उगते हैं। अत: इसकी खेती कम देख भाल के की जा सकती  है।  यदि इसे अधिक उपजाऊ मिट्टी में बोये तो निश्चित ही इससे पौधों की वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और अधिक उपज प्राप्त होती है। अत: किसानों को उपजाऊ जमीन का चयन करना चाहिए।