जैविक खाद

खाद एक प्रकार का जैविक पदार्थ होता है जो की पेड़, पौधे और जानवरों के अवशेषों  से बनता है, जिसे बैक्टीरिया और अन्य सुक्ष्म जीवों कीसहायता से कुछसमयावधी के लिए  सड़ाया जाता है । इस प्रकार पत्ते, फलों की खाल और पशु खाद आदि खाद बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है ।

पौधे मिट्टी , पानी और हवा से पोषण लेने के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों को सोखते है। यही कारण है कि हमेंमिट्टी मे हर साल उर्वरक मिलाना पड़ता है ।

कई सालों से,किसानों ने उनकी फसलों के लिए कृत्रिम खाद "मुक्त" खाद का इस्तेमाल करना शुरू किया है। जो जैविक कृषि के अन्तरगत आता है । खाद बचे हुए खाद्य पदार्थों और अन्य कतरे से बाहर घर पर बनाया जा सकता है जिस पर और लगभग कोई खर्च नहीं किया जाता है।

 

जैविक खाद तैयार करना

जैविक कृषक,को मिट्टी को पोषकऔर समृद्ध बनाने के लिए कहीं न कहीं से शुरूआत करनी पड़ती है, और इसके लिए उसे पता होना चाहिए कि जैविक खाद बनाने के संसाधन कहाँ से प्राप्त होंगे, और जैविक खाद वह खुद कैसे बना सकता है ।

आम के आम - गुठलियों के दाम

कम खर्च में- अधिक लाभ कैसे कमा यें?

आज भारत ने अनाज उत्पादन के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की मदद से, आत्म निर्भरता हासिल कर ली है। लेकिन कुछ प्रमुख समस्याएं भी पैदा हुई हैं। उदाहरण के लिये धान और गेहूं की फसलों की निरंतर बुवाई करने से कई खरपतवार पनपने का अवसर मिलता है। जल्दी-2 सिंचाई करने से मिट्टी में रोग और सूक्ष्म जीव बढ़ने का अवसर मिलता है। जिसके द्वारा मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। 

गाय के गोबर की खाद से धरती का पोषण हो

 यूरिया इत्यादि के कई वर्षों के उपयोग से धरती को कितनी हानि हई है और इस हानि को और अधिक न होने देने के लिये क्या-क्या कदम उठाए जायें। यूरिया का अंधाधुंध आयात भी एक बहुत बड़े षडयंत्र के साथ रची एक साजिश है। विदेशी यूरिया बनाने वाली कम्पनियों ने भारतीय अफसरों और ऊँँचे पदों पर राजनीतिज्ञों को इतना चढ़ाया कि सरकारी फाइलों में अफसर लोग लिखने पर बाध्य हो गये कि यूरिया अगर अधिक मात्रा में आयात और प्रयोग किया जाय तो खेतों की उपज बहुत अघिक बढ़ जायेगी। विशेषज्ञों को यह पता ही था कि धरती में यूरिया का अधिक उपयोग आने वाले समय में धरती को बंजर कर देगा। और यही हुआ भी। जहाँ किसानों ने यूरिया के साथ देसी खाद

भूमि की उत्‍पादन क्षमता बढाने में जैव उर्वरकों का महत्‍व

रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से उपज में वृद्धि तो होती है परन्‍तू अधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता तथा संरचना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है इसलिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) के साथ साथ जैव उर्वरकों (Bio-fertilizers) के प्रयोग की सम्‍भावनाएं बढ रही हैं।

जैव उर्वरकों के प्रयोग से फसल को पोषक तत्‍वों की आपूर्ति होने के साथ मृदा उर्वरता भी स्थिर बनी रहती है। जैव उर्वकों का प्रयोग रासायनिक उर्वरकों के साथ करने से रासायनिक उर्वकों की क्षमता बढती है जिससे उपज में वृद्धि होती है। 

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