परवल

परवल या 'पटोल' एक प्रकार की सब्ज़ी है। इसकी लता जमीन पर पसरती है। इसकी खेती असम, बंगाल, ओड़िशा, बिहार एवं उत्तर प्रदेश में की जाती है। परवल को हिंदी में 'परवल', तमिल में 'कोवाककई' (Kovakkai), कन्नड़ में 'थोंड़े काई' (thonde kayi) और असमिया, संस्कृत, ओडिया और बंगाली में 'पोटोल' तथा भोजपुरी, उर्दू, और अवध भाषा में 'परोरा' के नाम से भी जाना जाता है।

इनके आकर छोटे और बड़े से लेकर मोटे और लम्बे में - 2 से 6 इंच (5 से 15 सेंटीमीटर) तक भिन्न हो सकते है। यह अच्छी तरह से साधारणतया गर्म और आर्द्र जलवायु के अन्दर पनपती है।परवल और हरे धनिया की पत्तियों की समान मात्रा (20 ग्राम प्रत्येक) लेकर कुचल लिया जाए और एक पाव पानी में रात भर के लिए भिगोकर रख दिया जाए, सुबह इसे छानकर तीन हिस्से कर प्रत्येक हिस्से में थोड़ा सा शहद डालकर दिन में 3 बार रोगी को देने से पेट के कीड़े मर हो जाते हैं।

आदिवासी मानते हैं कि परवल के फलों का जूस तैयार कर लिया जाए और इसमें थोड़ी मात्रा में सौंफ और हींग का पिसा हुआ चूर्ण मिला लिया जाए और सेवन किया जाए तो मोटापा दूर होने लगता है। परवल का ताजा तैयार जूस ताकत और ऊर्जा देता है।

सिर का दर्द होने पर परवल के रस का लेप करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। परवल के फलों को कुचलकर रस निकाला जाए और उसे माथे पर लेपित करना चाहिए, ज्यादा दर्द होने की सूरत में परवल पत्तियों को तोड़कर उनका भी रस तैयार करने उपयोग में लाया जा सकता है। जड़ों का रस भी सरदर्द में राहत दिलाने के लिए प्रचलित है।

परवल की सब्जी खाने से पेट की सूजन दूर हो जाती है, जिन लोगों को अक्सर पेट में पानी भर जाने की शिकायत हो उनके लिए परवल वरदान है। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अक्सर परवल की सब्जी खाते रहने से पेट से जुडी अनेक समस्याओं में आराम मिलता है।

परवल के पत्तों को पीसकर मवाद युक्त फोड़ों, फुन्सियों और घावों पर लेप करने से ये जल्दी सूख जाते हैं। अगर शरीर में फोड़े -फुंसियां हो जाएं तो कम मसालों से तैयार की गई परवल की सब्जी को पंद्रह दिनों तक लगातार खाया जाए तो आराम मिल जाता है। आदिवासियों के अनुसार परवल खून साफ करने के लिए बेहद कारगर होता है।

पातालकोट के आदिवासी मानते है कि परवल के पके फल खाने से त्वचा के सभी रोग नष्ट हो जाते है। मध्यभारत में आदिवासी परवल का अचार तैयार करते हैं, माना जाता है कि परवल का अचार स्वादिष्ठ होने के साथ- साथ सेहत के लिए गजब फायदेमंद होता है।

अपचन या किसी वजह से पेट की सफाई जरूरी हो तो परवल की जड़ों को पानी में उबालकर एक गिलास मात्रा का रस दिया जाए तो पेट की सफाई हो जाती है, इसकी जड़े वास्तव में विरेचक होती है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार इस फार्मुले का सेवन रात को सोने से पहले करना चाहिए।

परवल (सब्जी) की उन्नत फसल

परवल सब्जी की फसलो में आता है, इसकी खेती बहुवर्षीय की जाती हैI इसे ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में उगाया जाता हैI लेकिन असम, ओडिसा, मध्य प्रदेश , महाराष्ट्रा एवं गुजरात के कुछ भागो में इसकी खेती की जाती हैI इसके साथ ही बिहार की दियार भूमि तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के रैनफेड क्षेत्र में अत्याधिक खेती की जाती हैI इसमे विटामिन ए एवं सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैI
जलवायु 
परवल को गर्म और आर्द्र जल वायु कि आवश्यकता होती है औसत वार्षिक वर्षा 100-150 से.मी,तक होती है ।