पेठा

पेठे की खेती से कम समय में पाएं ज्यादा मुनाफा

पेठा कद्दू सब्जी के रूप बहुत कम प्रयोग किया जाता है. लेकिन इसके उलट मिठाई के रूप में बहुत अधिक मांग है. किसानों के जागरूक न होने के कारण मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं हो पाता है. क्योंकि इसका अंतिम उत्पाद सुखे मिठाई के रूप में होता है, अतः यह लंबे समय तक संग्रहित किया जा सकता है.

उन्नत प्रजाति :- पूसा हाइब्रिड 1, हरका चंदन, नरेंद्र अमृत, सीएस- 19, सी ओ 1, कल्याणपुर पंपकिंग 1 आदि प्रमुख प्रजातियाँ हैं.

बुवाई का समय- जुन-जुलाई व नदियों के किनारे नवंबर-दिसबंर माह में बोया जाता है.

पेठा (कद्दूवर्गीय सब्जी) की उन्नत खेती

एक बेल पर लगने वाला फल है, जो सब्जी की तरह खाया जाता है। यह हल्के हरे वर्ण का होता है और बहुत बड़े आकार का हो सकता है। पूरा पकने पर यह सतही बालों को छोड़कर कुछ श्वेत धूल भरी सतह का हो जाता है। इसकी कुछ प्रजातियां १-२ मीटर तक के फल देती हैं पेठा दरअसल कद्दू की वह वेरायटी है जिससे पेठा बनता है। इसे भूरा कद्दू ,कुष्मांड या कूष्मांड का फल पेठा, भतुआ, कोंहड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है इसकी अधिकांश खेती भारत सहित दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में होती है। इससे भारत में एक मिठाई भी बनती है, जिसे पेठा (मिठाई) ही कहते हैं।

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