अगस्त माह में बागवानी के महत्वपूर्ण कार्य

अगस्त का महीना बागवानी फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। आम, अमरूद कटहल, लीची, बेल, नींबू, आंवला आदि के पौधों का रोपण करें।
नव रोपित फलों के पौधों मैं कलम के नीचे से कल्ले नियमित रूप से तोड़ते रहे।
नव रोपित पौधों में दीमक के प्रकोप के बचाव हेतु क्लोरो पायरी फॉस 3 मिलीलीटर 1 लीटर पानी में घोल बनाकर थाँवले में प्रयोग करें।
पौधों को जंगली पशुओं से बचाने के लिए पौधों को भरा या पुआल से ढक दें अथवा छप्पर बना दे।
आम के बागों में फल तोड़ने के उपरांत 40 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद, 4 किलो 700 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 250 ग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करे ।

अमरूद में फल मक्खी की समस्या के नियंत्रण के लिए फल मक्खी प्रपंच 10 प्रपंच प्रति एकड़ की दर से लगाएं। आम एवं अमरूद के बाग में खरपतवार नियंत्रण करें। खरपतवार नाशी का प्रयोग ना करें । दरांती या तलवार से घास को काटे।
अमरूद में फल लगने के बाद टहनियां झुकने की समस्या पाई जाती है। इसके निदान हेतु बांस या बल्ली की सहायता से टहनियों को सहारा दे अथवा कैनापी मैनेजमेंट( कैनोपी प्रबंधन) द्वारा टहनियों को की सधाई करें।

भिंडी के खेत में निराई कर पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।
निराई गुड़ाई उपरांत भिंडी के पौधो की संख्या संतुलित कर दें।भिंडी के खेत से तैयार फलों को नियमित तोड़ाई कर एवं छंटाई कर बाजार में बिक्री हेतु भेजें।
भिंडी में फल छेदक कीट से बचाव हेतु नीम का तेल का दशमलव 5% इधर से घोल बनाकर छिड़काव करें। प्रभावित फलों को एकत्र कर जमीन के अंदर दबा दें।

बेल वाली फसलों जैसे लौकी, तोरई, करेला आदि को मचान पर चढ़ाएं।
वायरस से बचाव हेतु इमिडाक्लोप्रिड 5 मिली लीटर 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सब्जियों के खेतों से नियमित रूप से खरपतवार को निकालते रहें।

अरबी की फसल में निराई गुड़ाई कर 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से जड़ों पर छिड़ककर हल्की मिट्टी चढ़ा दें।
पत्तों पर धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु डाई एथेल m45 के 2 ग्राम 1 लीटर पानी के हिसाब से गोल बनाएं व उसमें 1 लीटर गोंद अच्छी प्रकार फैंटकर मिला दे। जिससे घोल पत्तियों पर चिपक सके। इस गोल का छिड़काव खुले मौसम में करें।

गेंदे की फसल के लिए बीज की बुवाई करें। गेंदे की संकर किस्मों के लिए 1.5 किलोग्राम व स्थानीय किस्मों का 3 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के यह प्रयास रहता है। फूलगोभी की संकर किस्में खेती के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई करें। सब्जियों की पौधशाला जमीन से 1 फीट ऊंची ऊंची हुई क्यारियों के रूप में बनाएं।

पौधशाला के ऊपर पॉलिथीन का छप्पर बना दें। जिससे तेज बारिश व तेज धूप में पौधों का बचाव हो सके।
हरी मिर्च की खेती के लिए भी पौध डालने का उचित समय है। पौधशाला में बीज की बुवाई से पूर्व बीज को ट्राइकोडरमा से शोधित अवश्य करें।

तरोई की बेलों में बरसात के मौसम में फल कम आते हैं व लंबाई बढ़ने की समस्या रहती है। ऐसी स्थिति में थाँवले ऊंचे स्थान पर बनाएं व जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।
तरोई के नर फूलों की कलियों को तोड़कर सब्जी हेतु बिक्री कर सकते हैं। करेले में फल मक्खी की समस्या के निदान हेतु फल मक्खी प्रपंच( करेले) का प्रयोग करें।

डॉ आर के सिंह
अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली
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