चने की खेती के लिए किसान अपनाए रेज्ड-बेज्ड पद्धति

अल्पवर्षा के कारण किसानों को खेती करने की नई पद्धतियों के साथ खेती करने का मन बनाना होगा। समय रहते किसान भू-जल स्तर, बारिश के पानी प्रदाय की स्थित को ध्यान में रखते हुए रबी की फसल के लिए अहम निर्णय लेना होगा। अल्पवर्षा और सूखे जैसी स्थिति से निपटने किसानों को चने की खेती के लिए रेज्ड-बेज्ड पद्धति से खेती करना होगा। गेहूं की फसल के लिए कम पानी वाली किस्म का चयन करना होगा। 

कम रकबे से मवेशियों के चारे का संकट 

गेहूं का रकबा कम होने से आने वाले दिनों में मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा होगा।  पशु पालन विभाग को आगामी भविष्य की चिंता से मवेशियों के लिए मक्का पौधे के तने,धान की प्याल,नरवाई नहीं जलाने की सलाह दिया। जल उपभोक्ता समिति के अनुसार किसान पानी की पर्याप्ता को देखते हुए खेती करें। 

किसानों को संगोष्ठी और सम्मेलन में रबी की फसल की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। पानी की स्थिति को देखते हुए फसल को एक-दो पानी वाली किस्म की खेती करें। जितेंद्र सिंह, डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग 

किसान गेहूं का रकबा कम करें, चना, सरसों,मसूर,मटर,अलसी जैसी फसल की बोवनी करें। इसमें एक या दो पानी देने की जरूरत पड़े। 

एक और दो पानी में बेहतर पैदावार देने वाली किस्म की बोवनी करें। 

चने को रेज्ड-बेज्ड पद्धति से लगाए। इसमें चना खेत में नाली बनाकर सिंचाई की जाती है। 

सरसों की खेती पौधरोपण विधि से करें, इन पौधों की दूरी 2-3 फिट दूर रहे। 

चना और गेहूं के बीच का भंडारण समितियों में किया जाए। ताकि किसानां को परेशानी नहीं हो।