मई माह में फसल उत्पादन हेतु सामयिक सलाह

1- गेहूँ की देर से बोयी जाने वाली प्रजातियों तथा जई की कटाई, मड़ाई, सफाई करके अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें। बीज के लिये रक्खे जाने वाले गेहूँ को सौर ताप विधि से उपचारित कर भंडारण करें।

2- जौं, चना, मटर, मसूर आदि को अच्छी तरह सुखाकर भंडारित करें।

3- उर्द व मूँग की आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई, सिंचाई करते रहें। मूँग की फलियों की समय से तुड़ाई करें। समय से बोयी गई उर्द की उचित समय पर कटाई करें।

4- देर से बोयी गई मूँग उर्द की फसलों में पीला चित्रवर्ण रोग, थ्रिप्स से बचाव के लिये मिथाइल ओ डिमेटान 25 ई॰सी॰ रसायन की 1.0 लीटर मात्रा का प्रति हैक्टेयर की दर से 10 से 15 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें। पत्रदाग रोग की रोकथाम के लिये कार्बण्डाजिम 500 ग्राम/ है॰ का छिड़काव करें।

5- सूरजमुखी में आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई-गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ा दें। फूल निकलते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। रोयेंदार गिडार के लिये क्यूनालफॉस 25 ई॰सी॰ 1.0 लीटर /हेक्टेयर तथा जैसिड की रोकथाम के लिये मिथाइल-ओ-डिमेटान 25 ई॰सी॰ 1.0 लीटर /हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

6- सूरजमुखी में यदि निकटवर्ती क्षेत्र में मौनपालन नहीं हो रहा है तो फूल आने पर कृत्रिम परागण करायें। चिड़ियों/तोतों से बचाव के लिये रखवाली करें या एन्टीबर्ड नेट लगायें।

7- बरसीम की अन्तिम कटाई कर खेत को गहरा जोत कर छोड़ दें। बरसीम से बीज ले रहे हैं तो समयानुसार पानी दें।

8- चारे वाली मक्का की 70 दिन पर तथा लोबिया की 60-70 दिन पर कटाई करें। बहुकटाई ज्वार तथा नेपियर में कटाई के पश्चात शीघ्र-अतिशीघ्र पानी लगा कर यूरिया की टॉपड्रेसिंग करें।

9- ग्रीष्मकालीन मक्का में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें।

10- कटाई के बाद खाली हुये खेतों से मृदा परीक्षण के लिये नमूना लेकर रख लें तथा समय मिलने पर उसे जाँच हेतु प्रयोगशाला में पहुँचा दें। खाली पड़े खेत में गर्मी की गहरी जुताई कर दें या हरी खाद के लिये सनई/ढेंचा की बुवाई कर दें अथवा संकर नेपियर घास, मक्का, लोबिया, बहुकटाई वाली ज्वार आदि की हरे चारे के लिये बुवाई करें।

11- सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में धान की देर एवं मध्यम समय में पकने वाली प्रजातियों की पौध मई माह के अन्तिम सप्ताह से मध्य जून तक डाल लें।

12- फरवरी माह में बोये गये गन्ने में सिंचाई करने के बाद गन्ने की लाइनों में जड़ के पास 110 किलोग्राम यूरिया (50 किलोग्राम नत्रजन/हेक्टेयर) की टॉप ड्रेसिंग करके गुड़ाई कर दें।

13- चोटीबेधक, अंकुरबेधक कीटों तथा रोगों से ग्रस्त पौधों को काटकर नष्ट कर दें या चारे में प्रयोग कर लें, तथा पत्तियों पर से अण्ड समूहों को एकत्र करके नष्ट कर दें। सिंचाई के सम्बंध में ध्यान रक्खें कि पानी कभी भी बहुत अधिक भरकर न लगायें बल्कि सिंचाई हल्की तथा जल्दी-जल्दी (10-12 दिन के अन्तर पर) करें।

14- इसी समय खेत में काला चिकटा का आक्रमण होता है जिससे पत्तियों पर पीलापन दिखाई देता है। इनके नियंत्रण हेतु 1600 लीटर पानी में क्लोरोपायरीफॉस 20 ई॰सी॰ 1.0 लीटर सक्रिय तत्व (6.25 लीटर) के साथ 3-5% यूरिया घोल बनाकर गन्ने की गोफ में छिड़काव करें।

15- पेड़ी गन्ने में अधिक कल्ले निकलने की स्थिति में गन्ने की लाइनों पर कल्टीवेटर, फावड़े या पावर टिलर की सहायता से मिट्टी चढ़ा दें।

डॉ आर के सिंह, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र बरेली
[email protected]

organic farming: 
जैविक खेती: