गरीबी

गरीबी या निर्धनता जीवन जीने के साधनों या इस हेतु धन के अभाव की स्थिति है।
आय के उस स्तर को कहते है जिससे कम आमदनी होने पे इंसान अपनी भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने मे असमर्थ होता है। गरीबी रेखा अलग अलग देशों मे अलग अलग होती है। उदहारण के लिये अमरीका मे निर्धनता रेखा भारत मे मान्य निर्धनता रेखा से काफी ऊपर है।निर्धनता को भोजन, उचित घर, कपड़े, दवाईयाँ, शिक्षा और एक जैसे मानवाधिकार की कमी के रुप में परिभाषित कर सकते हैं। गरीबी इंसान को लगातार भूखे रहने, घर के बिना, कपड़ों के बिना, शिक्षा और उचित अधिकारों के बिना रहने को मजबूर करता है। देश में गरीबी के बहुत सारे कारण हैं हालाँकि समाधन भी है लेकिन इन परिस्थितियों में लिये भारतीय नागरिकों के बीच उचित एकता की कमी के कारण, गरीबी दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। किसी भी देश में संक्रामक रोगों का फैलना निर्धनता का एक कारण है क्योंकि गरीब लोग अपने स्वास्थ्य और स्वास्थ्यकर स्थिति का ध्यान नहीं रख सकते।

गरीबी उचित चिकित्सा, स्कूल जाने के लिये, ठीक से बोलने के लिये, तीन वक्त का भोजन खाने के लिये, जरुरी कपड़े पहनने के लिये, खुद का घर खरीदने के लिये, काम के लिये उचित तरीके से पैसा प्राप्त करने आदि के लिये लोगों को अक्षम बनाता है। बीमारी की ओर जाने के लिये एक व्यक्ति को निर्धनता मजबूर करती है क्योंकि वो गंदा पानी पीते हैं, गंदी जगह पर रहते हैं और अपर्याप्त भोजन खाते हैं। गरीबी के कारण शक्तिहीनता और आजादी की कमी होती है।

विकास की अंधी दौड़ बिगाड़ रही है प्राकृतिक संतुलन : प्रधानमंत्री

विकास की अंधी दौड़ बिगाड़ रही है प्राकृतिक संतुलन : प्रधानमंत्री

तापमान बढ़ने से पौधों और जीव-जंतुओं के जीवन-चक्र में बदलाव आ रहा है। इसकी वजह से रोजाना 50 से डेढ़ सौ प्रजातियां खत्म हो रही हैं।  विकास की अंधी दौड़ से पैदा हुई चुनौतियों के चलते जैव प्रजातियों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे निपटने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों, नीति नियामकों और शिक्षाविदों से समुचित उपाय ढूंढने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा, पौष्टिकता, स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के लिए जैव विविधता के संरक्षण पर चर्चा अहम हो गई है। तापमान बढ़ने से पौधों और जीव-जंतुओं के जीवन-चक्र में बदलाव आ रहा है। इसकी वजह से रोजाना 50 से डेढ़