भुखमरी

विटामिन, पोषक तत्वों और ऊर्जा अंतर्ग्रहण की गंभीर कमी को भुखमरी कहते हैं। यह कुपोषण का सबसे चरम रूप है। अधिक समय तक भुखमरी के कारण शरीर के कुछ अंग स्थायी रूप से नष्ट हो सकते हैं और[कृपया उद्धरण जोड़ें] अंततः मृत्यु भी हो सकती है। अपक्षय शब्द भुखमरी के लक्षणों और प्रभाव की ओर संकेत करता है।

विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, विश्व के संपूर्ण स्वास्थ के लिए भूख स्वयं में ही एक गंभीर समस्या है। डब्लूएचओ (WHO) यह भी कहता है कि अब तक शिशु मृत्यु के कुल में से आधे मामलों के लिए कुपोषण ही उत्तरदायी है। एफएओ (FAO) के अनुसार, वर्तमान में 1 बिलियन से भी ज्यादा लोग, या इस ग्रह पर प्रति छः में से एक व्यक्ति, भुखमरी से प्रभावित है
भुखमरी का मूल कारण ऊर्जा व्यय और ऊर्जा अंतर्ग्रहण के बीच असंतुलन है। दूसरे शब्दों में, शरीर भोजन के रूप में ग्रहण की गयी ऊर्जा से अधिक ऊर्जा व्यय करता है। यह असंतुलन एक या कई चिकित्सकीय कारणों से हो सकता है और/या पारिस्तिथिक अवस्थाओं के कारण भी हो सकता है, जिसमे निम्न सम्मिलित हो सकते हैं:

चिकित्सकीय कारण

एनोरेक्सिया नर्वोसा
ब्युलिमिया नर्वोसा
कोमा
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (मुख्य अवसाद संबंधी विकार)
डायबिटीस मेलिटस
डाइजेस्टिव डिजीज़ (पाचन संबंधी विकार)
परिस्थितिजन्य कारण

अतिजनसंख्या या युद्ध जैसे कारणों के साथ किसी कारण से अकाल पड़ जाना
उपवास, जब बिना उचित चिकित्सकीय देखरेख के किया जाये और एक महीने से अधिक समय तक चले.
ग़रीबी
संकेत तथा लक्षण
भुखमरी से ग्रसित व्यक्ति में चर्बी (वसा) की मात्रा और मांसपेशियों का भार काफी घट जाता है क्यूंकि शरीर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए इन ऊतकों का विघटन करने लगता है। जब शरीर अपने अत्यावश्यक अंगों जैसे तंत्रिका तंत्र और ह्रदय की मांसपेशियों (मायोकार्डियम) की क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए अपनी ही मांसपेशियों और अन्य ऊतकों का विघटन करने लगता है तो इसे केटाबौलिसिस कहते हैं। विटामिन की कमी भुखमरी का सामान्य परिणाम है, जो प्रायः खून की कमी, बेरीबेरी, पेलेग्रा और स्कर्वी का रूप ले लेता है। संयुक्त रूप से यह बीमारियां डायरिया, त्वचा पर होने वाली अन्धौरी, शोफ़ और ह्रदय गति रुकने का कारण भी हो सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप इससे ग्रस्त व्यक्ति प्रायः चिड़चिड़ा और आलसी रहता है।

पेट की क्षीणता भूख के अनुभव को कम कर देती है, क्यूंकि अनुभव पेट के उस हिस्से द्वारा नियंत्रित होता है जो कि खाली हो. भुखमरी के शिकार व्यक्ति इतने कमज़ोर हो जाते हैं कि उन्हें प्यास का अनुभव नहीं हो पाता और इसलिए निर्जलीकरण से ग्रस्त हो जाते हैं।

मांसपेशियों के अपक्षय और शुष्क व फटी त्वचा, जो कि गंभीर निर्जलीकरण के कारण होती है, के परिणामस्वरूप सभी क्रियाएं पीड़ादायक हो जाती हैं। कमज़ोर शरीर के कारण बीमारियां होना साधारण है। उदाहरण के लिए, फंगस प्रायः भोजन नली के अन्दर विकसित होने लगता है, जिससे कि कुछ भी निगलना बहुत ही कष्टदायक हो जाता है।

भुखमरी से होने वाली ऊर्जा की स्वाभाविक कमी के कारण थकावट होती है और ऊर्जा की यह कमी लम्बे समय तक रहने पर पीड़ित व्यक्ति को उदासीन बना देती है। क्यूंकि भुखमरी से पीड़ित व्यक्ति इतना कमज़ोर हो जाता है कि वह खाने और हिलने में भी असमर्थ हो जाता है और फिर अपने चारों और के वातावरण से उसका पारस्परिक सम्बन्ध भी कम होने लगता है।

वह व्यक्ति रोगों से लड़ने में भी असमर्थ हो जाता है और महिलाओं में मासिकधर्म भी अनियमित हो जाता है।

विकास की अंधी दौड़ बिगाड़ रही है प्राकृतिक संतुलन : प्रधानमंत्री

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तापमान बढ़ने से पौधों और जीव-जंतुओं के जीवन-चक्र में बदलाव आ रहा है। इसकी वजह से रोजाना 50 से डेढ़ सौ प्रजातियां खत्म हो रही हैं।  विकास की अंधी दौड़ से पैदा हुई चुनौतियों के चलते जैव प्रजातियों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे निपटने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों, नीति नियामकों और शिक्षाविदों से समुचित उपाय ढूंढने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा, पौष्टिकता, स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के लिए जैव विविधता के संरक्षण पर चर्चा अहम हो गई है। तापमान बढ़ने से पौधों और जीव-जंतुओं के जीवन-चक्र में बदलाव आ रहा है। इसकी वजह से रोजाना 50 से डेढ़