पपीता

पपीता एक फल है।... पपीता का वैज्ञानिक नाम कॅरिका पपया ( carica papaya ) है। इसकी फेमिली केरीकेसी ( Caricaceae ) है। इसका औषधीय उपयोग होता है। पपीता स्वादिष्ट तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। सहज पाचन योग्य है। पपीता भूख और शक्ति बढ़ाता है। यह प्लीहा, यकृत को रोगमुक्त रखता और पीलिया जैसे रोगाें से मुक्ती देता है। कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले रंग का हो जाता है। इसके कच्चे और पके फल दोनों ही उपयोग में आते हैं। कच्चे फलों की सब्जी बनती है। इन कारणों से घर के पास लगाने के लिये यह बहुत उत्तम फल है।
इसके कच्चे फलों से दूध भी निकाला जाता है, जिससे पपेन तैयार किया जाता है। पपेन से पाचन संबंधी औषधियाँ बनाई जातीं हैं। अत: इसके पक्के फल का सेवन उदरविकार में लाभदायक होता है। पपीता सभी उष्ण समशीतोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। उच्च रक्तदाब पर नियंत्रण रखने के लिए पपीते के पत्ते को सब्जी में प्रयोग करते है। पपीते में ए, बी, डी विटामिन और केल्शियम, लोह, प्रोटीन आदि तत्त्व विपुल मात्रा में होते है। पपीते से वीर्य बढ़ता है। त्वचा रोग दूर होते हैैं। ज़ख्म जल्दी ठीक होते है। मूत्रमार्ग की बिमारी दूर होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। मूत्राशय की बिमारी दूर होती है। खॉसी के साथ रक्त आ रहा हो तो वह रुकता है। मोटापा दूर होता है। कच्चे पपीता की सब्जी खाने से स्मरणशक्ती बढती है। पपीता और ककड़ी हमारे स्वास्थ्य केंद्र लिए उपयुक्त है।

सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला

सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला

कड़ाके की ठंड और कोहरे का असर दिख रहा है. लगभग पूरे उत्तर भारत में इसका प्रकोप जारी है. आसमान साफ रहने, तापमान अधिक गिरने और हवा नहीं चलने से पाला का खतरा बढ़ जाता है. अभी यह खतरा कुछ फसलों के लिए बहुत बड़ा है जिनमें सरसों, टमाटर और बैंगन के नाम है. इनकी फसल चल रही है, इसलिए पाले से बचाना बहुत जरूरी है. पाले से बचाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक सलाहों पर गौर करना चाहिए. इन सलाहों की मदद से किसान अपनी फसल को आसानी से बचा सकते हैं.