फॉस्फेट उर्वरक

अकार्बनिक रसायन में फ़ास्फ़ोरिक अम्ल तथा क्षारों की क्रिया से जो लवण बनते हैं, वे फ़ॉस्फ़ेट (Phosphate) कहलाते हैं। कार्बनिक रसायन में फास्फोरिक अम्ल के इस्टर को फॉस्फेट या आर्गैनोफास्फेट कहते हैं। कार्बनिक फास्फेटों का जैवरसायन और पर्यावरण में बहुत महत्व है। अकार्बनिक फास्फेट खानों से निकाले जाते हैं और उनसे फॉस्फोरस प्राप्त किया जाता है जो कृषि एवं उद्योगों में उपयोगी है।
फ़ॉस्फ़ेटों का सर्वाधिक प्रयोग फ़ॉस्फ़ेट उर्वरकों के निर्माण में होता है। प्रकृति में चट्टानीय-फ़ॉस्फ़ेटों में ट्राइकैल्सियम फ़ॉस्फ़ेट पाया जाता है, जिसपर सल्फ़्यूरिक अम्ल की क्रिया से सुपरफॉस्फेट बनाया जाता है। यह उर्वरक के रूप में प्रचुरता होता है। फॉस्फोरिक अम्ल की क्रिया से त्रयंगी फ़ॉस्फ़ेट बनता है जो अत्यंत सांद्र फॉस्फेट उर्वरक है। अस्थिनिर्माण तथा अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं में फॉस्फेट महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण करते हैं। ठीक से बीज उत्पादन के लिए पौधों को फॉस्फेट की आवश्यकता पड़ती है।

सरकार ने बढ़ाई उर्वरक सब्सिडी, सीधे किसानों को मिलेगा फायदा

सरकार ने बढ़ाई उर्वरक सब्सिडी, सीधे किसानों को मिलेगा फायदा

पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें वित्त वर्ष 2019-20 के लिए गैर यूरिया आधारित उर्वरकों (फॉस्‍फेटिक और पोटाशिक) की सब्सिडी को बढ़ाने की मंजूरी दी गई। इसके तहत सरकार की तरफ से 22,875 करोड़ रुपए खर्च की इजाजत दी गई।

उर्वरक सब्सिडी का सीधा फायदा किसानों को मिलेगा। हालांकि प्रतिकिलो सब्सिडी दरें वही रहेंगी जैसी वर्ष 2018-19 में थी। सरकार की तरफ से सब्सिडी की शुरुआत 2010 में की गई थी। इसके तहत सब्सिडी वाले फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों के प्रत्येक ग्रेड पर एक निश्चित राशि सब्सिडी के तौर पर दी जाती है। यह सब्सिडी सालाना आधार पर दी जाती है।